सारी मीडिया सरकार की उपलब्धियों को एक-एक करके गिना रही है। ठीक हैं बताना भी चाहिये कि सरकार ने 4 साल में क्या क्या किया? लेकिन क्या उसके दूसरे पहलू पर भी नज़र नहीं जानी चाहिए?
लेकिन मीडिया नहीं बताएगी की RBI में नोटबन्दी के पैसे अभी तक नहीं गिने गये। सरकार ने सत्ता में आने के बाद विज्ञापन पर पौने चार हजार रुपये खर्ज कर दिए है। मीडिया नहीं बताएगी कि सरकार ने रोज़गार तो नहीं दिया? लेकिन पकौड़े बेचने का आईडिया अवश्य बता दिया। अब भी 3 करोड़ घर ऐसे हैं जहां पर बिजली की व्यवस्था नहीं है।
लेकिन जनता अब भी खुश हैं सरकार से। क्योंकि सरकार ने कुछ ऐसे मुद्दों पर बात की हैं जिसे शायद ही पिछली सरकार ने उठाया हो। सरकार ने आज जनता में धर्म के प्रति आस्था को जगा दिया। 4 साल से जनता को अपना धर्म ख़तरे में नज़र आ रहा है।
अब जनता को रोज़गार से, शिक्षा से, किसानों की हो रही हत्या से कोई मतलब नहीं? मतलब हैं तो सिर्फ अपने धर्म से। देश में बढ़ रही जनसंख्या से किसी को कोई मतलब नहीं है? सरकार ने 2014 का चुनाव सबका साथ, सबका विकास के नारे के साथ लड़ा था।
लेकिन 2019 का चुनाव मंदिर-मस्जित को लेकर लड़ा जायेगा। विकास को लेकर नहीं? आज गंदी राजनीति नहीं हैं बल्कि गंदे लोग हो गये है। इन्हें ये नहीं पता कि सरकार राजनीति के लिए कुछ भी कर सकती है।
जो लोग सोचते हैं कि भाजपा हिंदुओ की पार्टी हैं। तो आप बहुत बड़े भर्म में है।
अगर, ऐसा होता तो मंदिर कब का बन गया होता। तीन तलाक मुद्दा संसद में पास हो गया होता। लेकिन हुआ कुछ नहीं हैं सब पहले की तरह हैं। बस हुआ तो इतना कि आज देश की जनता देशभक्त होने की बजायें पार्टी भक्त हो गयी है। एक भाजपा भक्त हो गया हैं एक कोंग्रेस भक्त और अन्य पार्टियों के भक्त हो गए है।
जो आपस में लड़ते हैं और आगे भी लड़ते रहेंगे।
लड़ने से किसी को रोजगार नहीं मिला। जनसंख्या पर रोक नहीं लगी। किसी को सही स्वास्थ्य सुविधाएं नहीं मिली।
आज भी हम वहीं हैं जहां पहले थे। बस हुआ इतना है कि देश की जनसंख्या और बढ़ गयी है। बच्चें रोड़ों पर आज भी भीक मांग रहे है। बलात्कार आज भी हो रहे है। किसान की हत्या आज भी हो रही है।
लेकिन सरकार और जनता को अब कोई फ़र्क नहीं पड़ता है।
बस इंतज़ार अब 2019 का है।
#श्री कृष्ण
दिल्ली विश्वविद्यालय