झपकियां लेते समंदर में
उम्मीदों की लहरों को देखा है मैने,
रफ्तारों को उस रेस में
उछल-फांद करता भी पाया,
इसी होड़ में लहरों की
मन उचट गया दिल रूठ गया,
पाया खुद को जब दूर कहीं
लहरों के अंदर डूब गया,
फिर क्या था.. जाते जाते
मेरे मकसद की कुछ छवि मिली,
तब ज्ञात हुआ, तब पता चला
तत्परता और लगनशीलता, पथ है लक्ष्य को पाने का…