कितनी अजीब बात है ना जो छुट गया वो याद है और जो अभी साथ है उसे भुलने की कोशिश जारी है।
जो चाहिए था वो मिला नहीं जो मिल गया वो चाहिए नहीं जो हमें याद है, हम उसे नहीं जिसे हम याद हैं, वो हमें नहीं।
समझौता करनी चाही थी जिंदगी से आज जिंदगी समझौता में मिल रही साझेदारी का रिश्ता मांगने थे आज रिश्ते में समझदारी मिल रही। समझाते थे जो दुसरों को कभी Knowledge और Experience का हवाला दे आज जिंदगी उन्हें समझा रही है जमाने की दुश्वारियों का हवाला दे। रुकते-रुकते, थमते-थमते खुशियों का आंचल थामा है सुख दु:ख तो बस नाम है हमने हर हाल में खुश रहना सीखा है।