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“पारदर्शिता वाली सरकार राज में RTI का क़ानून सुस्त कैसे पड़ गया”?? जबावदेही किसकी…

सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 जो कि किसी भी सरकारी और ग़ैर-सरकारी विभाग की सूचना प्राप्त करने के लिए बनाया गया । इस अधिनियम के अंतर्गत देश का कोई भी नागरिक सरकारी और ग़ैर सरकारी विभाग से किसी भी प्रकार की सूचना माँग सकता है लेकिन 2005 में बने RTI क़ानून को आज लगवा सा मार गया है मीडिया रिपोर्ट की माने तो जिस RTI अधिनियम के हिसाब से RTI का जबाव समय से पहले जानकारी (लगभग 37 दिन) में व्यक्ति को मिल जानी चाहिए उसे वही जबाव पहली अपील के बाद दूसरी और दूसरी के बाद तीसरी तक डालने के बाद मिल रही है,समय से पूर्व जबाव न देने वाले अधिकारियों पर कोई जुर्माना भी नहीं जो कि RTI अधिनियम 2005 में संशोधित है फिर भी जानकार अधिकारीगण ख़ामोश हैं न तो उन पर कोई जुर्माना लगाने को तैयार है न कोई सख़्ती दिखाने को आगे आ रहा। 2005 में बने इस क़ानून का फिर एेसे समय में लाभ रहा ही क्या जो आमजनता को ये विशेष अधिकार मुहैया कराया गया था। देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकारी कामकाजों को आम जनता के समक्ष रख पारदर्शिता की बात तो करते हैं हालात एेसे हैं कि प्रथम RTI लगाने के बावजूद व्यक्ति को समय पर जबाव नहीं मिल रहा जनता जानना चाहती है कि उसकी पूर्व सरकार ने या इस सरकार ने सरकारी धन का उपयोग कहाँ और कुल कितना पैसा ख़र्च किया, इसी सवाल के जबाव को जानने के लिए वह महीनों व्यर्थ कर रहा है लेकिन फिर भी जबाव उसे हासिल नहीं हो पा रहा है। एक न्यूज़ चैनल की रिपोर्ट में बताया कि लाखों 2 की संख्या में RTI लंबित पड़ीं हुईं हैं, मुख्य आयुक्त अधिकारियों की कमी के चलते एेसी नौबत आन पड़ी है कि आम जनता को उसके सवालों के जबाव तक मिलने भारी पड़ रहे हैं या जबाव नहीं दिए जा रहे हैं क्योंकि RTI को देख रहे ज़्यादातर अधिकारी रिटायरमेंट के बावजूद भी यह कामकाज संभाल रहे हैं। यहाँ तक की मुख्य RTI आयुक्त का इस साल के आख़िर में कार्यकाल समाप्त हो रहा है । 11 आयुक्तों की आवश्यकता है लेकिन हैं केवल 7 आयुक्त ही 4 नदारद हैं..ग़ज़ब है

राजधानी में कुछ समय पहले बने भव्य सूचना अधिकार के दफ़्तर का शिलान्यास तो प्रधानसेवक ने कर दिया लेकिन जिनके ज़िम्मे ये कामकाज है उनकी संख्या न देखी और न ही उनकी कम हो रही संख्या को बढ़ाने का कोई प्रयास किया । मैंने स्वंम चार RTI दाख़िल कीं महीना बीत गया बचे कुछ दिन भी जल्द बीत जाएँगे उम्मीद नहीं की जा सकती है कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के अनुसार जबाव समय से पहले मुझे मिल पाएगा जबकि देश के प्रधानसेवक श्री नरेंद्र मोदी सरकार अपनी सरकार के कामकाजों को पब्लिक के सामने लाने और पारदर्शिता की बात दोहराते कई मौक़ों पर देखे गए लेकिन फिर क्यों पारदर्शिता से मोदी की सरकार बच रही है। क्या मौजूदा बीजेपी सरकार RTI में जल्द कोई बड़ा बदलाव ला पाएगी? क्या RTI में आयुक्तों की हो रही कमी को केंद्र सरकार जल्द पूरा कर पाएगी? क्या देश के आमजन को RTI के माध्यम से जबाव समय से पहले मिल पाएगा ? प्रश्न तो कई हैं लेकिन जबाव शायद किसी के पास नहीं…. #सोच_भारत #अच्छे_दिन Just like only #JumlaSarkar ?? Plz tell

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