कई चीजें अचंभे में डालती हैं और सोचने पर मजबूर कर देती हैं कि आखिर लोग ऐसा भी कर सकते हैं? जम्मू में एक बलात्कारी के समर्थन में हिंदू एकता मंच नामक संगठन ने तिरंगा यात्रा निकाली और उसके बचाव के लिये सैकड़ों लोग इकट्ठे भी हुए। अब तक तो यहीं देखते सुनते रहे थे कि किसी अन्याय,जुल्म या ज्यादती के खिलाफ तिरंगायात्रा,जुलूस आदि होते थे मगर इस बार मजहबी ऐनकबाज़ों ने तिरंगा यात्रा एक आठ साल की बच्ची के बलात्कार व हत्या के आरोपी के लिये ही निकाल दी।खुद तिरंगा भी इस करतूत से हैरान होगा। वाकई दिन बुरे हैं और लोग धर्म की अफीम में मगन होकर सही गलत की बजाय आजकल अपराध और अपराधी की बिरादरी और धार्मिकता देख रहे हैं।हमारी नैतिकताओं के नाड़े दूसरे खेमों में जाते ही खुल जाते हैं।उन प्रशासनिक अधिकारियों पर लानत है जिन्होने एक मासूम बच्ची के बलात्कार व हत्या के आरोपी के समर्थन में यह तिरंगा व धार्मिक यात्रा होने दी और उन लोगों को शर्म आनी चाहिये जो छद्म राष्ट्रवाद की आड़ में एक संगीन अपराधी का साथ देते हैं। काश एक दिन इन लोंगों के बच्चे अपने माँ बाप से सवाल करें कि एक बलात्कारी के लिये वो भी जिसने आठ साल की मासूम बच्ची का बेरहमी से रेप व हत्या की उसके लिये यह सब क्यों किया? अगर आपको पूरा मामला ना पता हो तो बता दूँ कि कुछ दिन पहले जम्मू में एक आठ साल की बच्ची आशिफा का बलात्कार व हत्या हुई जिसमें पुलिस ने पहले तो एक नाबालिक लड़के को गिरफ्तार किया मगर बाद में यह पुलिस की साजिश निकली और विशेष जाँच एजेंसी ने पुलिस के ही एक आदमी को हिरासत में लिया जिसने यह बर्बर अपराध किया था।फिर इसी अपराधी के लिये एक महान शर्मनाक समर्थन यात्रा का आयोजन हुआ जिसमें जम्मू के बेगैरत लोग इकट्ठे हुए और तिरंगा व हिंदू एकता का नाम लेकर अपनी करतूतों को भी राष्ट्रवाद की रोशनी में भी रोशन कर दिया। ये धार्मिक चश्में ठीक नहीं है जीने के लिये,नहीं तो हमारी आँखे न्याय व समानता को तरस जायेंगी एक दिन।अगर समाज में ऐसे लोग रह रहे हैं तो फिर ये सब नैतिकताओं की केंचुली उतार ही फेंके तो अच्छा। उस बच्ची को और उस जैसी हर बच्ची को देश दुनिया के हर कोने में न्याय मिलना ही चाहिये। मनीष पोसवाल