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बिना गठबंधन भाजपा को रोकना मुश्किल।

आज 19 मई को फ्लोर टेस्ट से पहले ही भाजपाई मुख्यमंत्री ने इस्तीफा दे दिया।और उससे पहले येदुरप्पा जी ने एक भावुक भाषण देकर कर्नाटक की जनता का दिल जीतने की कोशिश और कांग्रेस को विलेन साबित करने की भरसक कोशिश कर ली।

कर्नाटक के चुनावों में किस तरह की अनैतिक और अलोकतांत्रिक तरीके भाजपा ने अपनाने की कोशिश की वो देश ने देख ही लिया।और उसके लिए उन्हें कोई शर्म या मलाल नही बल्कि वो सीना तान कर ये कहते घूम रहे कि कांग्रेस भी अपने स्वर्णिम दिनों में ऐसी चीजें करती रही है ।जो सच भी है, लेकिन उन्हें ये नही पता कि कांग्रेस की इन्ही कारगुजारियों की वजह से जनता ने भाजपा को मौका दिया है,अब अगर तुम भी अहंकार में वही करोगे तो जनता नीचे बहुत जल्दी पटक देगी।

खैर ये तो कर्नाटक की बात हो गयी ,लेकिन अब इस चुनाव के बाद 2019 के लोकसभा के चुनावों की आहट स्पष्ट तौर पर सुनी जा सकती है।

भाजपा समय से पहले भी चुनाव में उतर सकती है।
क्योंकि पहले गोरखपुर और फूलपर उपचुनाव और अब कर्नाटक के विधानसभा चुनावों में जिस तरह विपक्ष एकजुट हुआ है ,इससे जाहिर तौर पर मोदी जी को कड़ी चुनौती मिल सकती है।

लेकिन इन सभी से इतना तो स्पष्ट है ,कांग्रेस अकेले चलकर भाजपा को नही हरा सकती।पिछले विधानसभा चुनावों में अकेले लड़ने पर वो भले ही कुछ जगह ज्यादा सीटें भी पा गयी लेकिन सरकार न बना पाई ।भाजपा के सत्ता बल के आगे वो नतमस्तक ही हो गयी ।चाहे गोआ हो या मेघालय या मणिपुर।लेकिन कर्नाटक में जेडीएस का साथ मिलने पर ही वो भाजपा को रोक पाई।
जाहिर तौर पर अगले लोकसभा के लिए उसे मुख्य विपक्षी पार्टियों से गठबंधन कर के चुनाव लड़ना पड़ेगा।तभी वो भाजपा को रोक सकती है।

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