बुढापा बया करता लोगो का दर्द।
आमतौर हम सभी अपने आस पास मे किसी न किसी बुजर्ग को देखते रहते है।और कई बार तो हम उन पर हंस भी देते हैं।लेकिन उन लोगो के बारे मे कोई नही सोचता।कि ये लोग (महिला और पुरूष)जो ये दर्द सहन करते है।ऐसे लाखो महिलाएं और पुरुष होगे।जो इसका शिकार हैऔर जब लोग उनका मजाक उडाते है तो वे ये नही सोचते कि आज जो इनके साथ है हो सकता है वह कल आपके साथ हो।
ऐसी ही एक घटना को मै सभी से शेयर करना चाहता हूं।मै कुछ दिनो पहले एक ट्रेन मे सफर कर रहा था।कुछ लोग जो मिडिल ऐज के थे।वे सभी सीटो पर बैठे हुए थे।जैसे ही गाडी स्टेशन पर रुकी।तभी चार बुजर्ग व्यकित और दो महिलाएं ट्रेन मे चढे।उन चारो मे दो से तो खडा भी रहा नही जा सकता था।वे बेचारे रास्ते मे ही बैठ गऐ।लोग जो भी गाडी मे चढते वे पहले तो उन्हे गाली देते ।फिर उनके ऊपर पैर रखकर आगे चले जाते।ऐसा काफी लोगो ने किया।अब उनमे से एक बुजर्ग से रहा नही गया।उसने गाडी मे खडे लोगो से कहा कि कया तुम अपने घरो मे भी अपने बुढ्ढे माता पिता के साथ भी ऐसा करते हो।ऐसा कहते ही कुछ लोग उस बुजर्ग को मारने के लिए आगे आये। ।लेकिन उस भीड मे कुछ महिलाएं भी थी।उनके बोलने पर वे रूक गये।मै भी दरवाजे के पास ही खडा ये सब कुछ देख रहा था।मै ये सब देखने के बाद एक ही बात सोच रहा था कि लोगो के दिलो मे आज भी बुढापे के लिए काफी दर्द है।और वे लोग यही सोचते है कि कब इस बुढे और बुढिया से पिछा छुटे।लेकिन ये नही कोई भी सोचता कि इन बुढ्ढो की बदौलत आप आज जहा खडे हो वो इनकी ही मेहनत है आप भूखे रहकर तुम्हे खाना खिलाकर पढाया लिखाया और इस काबिल भी बनाया कि लोग तुम्हारी इज्जत करे । लेकिन वे लोग अपने बच्चो को प्यार देने के चक्कर मे अपने आप से प्यार करवाना भूल जाते हैं।और फिर
बदले मे उन बेचारो को मिलता है एक अनाथ आश्रम का कमरा या घर के अंदर एक छोटा सा कोना।या डाट फटकार ।जब तक बुजर्ग लोग अथार्त(पुरुष और महिलाएं)काम के लायक है तभी तक लोग उनसे काम करवाते है व उनकी थोडी बहुत इज्जत भी करते है लेकिन जब वे काम करने के लायक नही होती तब वे लोग अपने ही बच्चो के लिए बोझ बन जाते है ऐसा हमारे समाज मे बहुत लोगो की सोच भी मिलती है। हमे ऐसा नही करना चाहिए।ब्लकि अपने माता पिता की ईज्जत करनी चाहिए।