भारत में आजादी के बाद लगभग 65000 दंगे हुए है।
अगर 65 हज़ार दंगे में शामिल मुर्ख जनता 40 हजार स्कूल और 25 हजार अस्पताल बनवाने के लिए दंगा किये होते तो उसका लाभ आज उनके परिवार के लोगो को मिल रहा होता और देश के सरकारी स्कूल और अस्पताल की इतनी दुर्दशा नही होती।।
सबसे ज्यादा पढ़े लिखे, शिक्षित लोग ही धर्म के नाम पर दंगा फैलाते है, अनपढ़ ग़रीबो का जीवन तो प्रतिदिन मजदूरी कर कमाने और खाने में ही समाप्त हो जाता है।
सबको पता भी है कि उनके बच्चों के भविष्य का निर्माण बेहतर शिक्षा से होगा, लेकिन प्रयास कोई नही करना चाहता है।
धर्म की राजनीति ने आडवाणी, तोगड़िया, कटियार को हाशिये पर पंहुचा दिया तो बाकियों की क्या औकात.?
Shriram Patel