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युवा और सोशल मीडिया ।

   भारत की स्वतंत्रता के संग्राम में अपना  सर्वस्व न्योछावर करने वाले नायकों ने जिस भारत का स्वप्न देखा था । हम उससे कोसो दूर है ।एक दूसरे से घृणा करते हैं  ।आइये ये जानने की कोशिश करते है कि ऐसा क्यों है ।

आज युवाओं के पास विचार अभिव्यक्ति के लिए सोशल मीडिया जैसा बड़ा प्लेटफॉर्म है । परंतु ध्यान देने वाली बात यह है कि हम सोशल मीडिया का उपयोग कर रहे हैं या सोशल मीडिया हमारा उपयोग कर रहा है।  

  जबाब यह है कि अधिकांश लोगों का उपयोग सोशल मीडिया कर रहा है ।  हम आंख मूंदकर दूसरे के विचारों को शेयर कर रहे हैं वास्तव में यह हमारे विचार नहीं है यह हमारे विचारों से मिलते-जुलते जरूर है ।

   आजकल राजनीतिक दलों और कंपनियों का काम करने का तरीका एक ही है । यह हमारे मस्तिष्क के किसी कोने में बैठी हुई  तीव्र भावनाओं को उकेर कर हमें खुद के लिए तैयार कर देते हैं  ।

   कुछ कमी हमारी भी है हम बात पढ़ते समय समाचार देखते समय किसी व्यक्ति के बारे में बात करते समय उपनाम और समुदाय का  अवश्य  ध्यान रखते हैं ।

हम चाहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग से सरकार निपटे  हमे 24 घंटे बिजली व चाहिए  लेकिन न तो सब्जी खरीदते समय पॉलीथीन को मन करते है नहीं वोट करते समय उम्मीदवार के ब्यक्तित्व की ।

प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वह समाज,  सरकार में व्याप्त भ्रष्टाचार और कुरीतियों  की आलोचना करें ।

आलोचना के लिए हमे व्यापक विश्लेषण की आवश्यकता होती है , वही जब बना बनाया माल तैयार मिलता है तो उसे  कॉपी पेस्ट या शेयर आसानी से किया जा सकता है । लेकिन क्या ये हमारे विचार हैं या मनोवेग हैं ? इस पर अवश्य विचार करना चाहिए ।

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