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शहजादा अफरोज का लेख “पुरूष वेश्या” यहां औरतें लगाती है मर्दो के जिस्म की बोली

_पुरुष_वेश्या
हम सभी लोग #रेड_लाइट_एरिया और वेश्यावृत्ति के बारे में जानते हैं…. कॉल गर्ल्स के बारे में भी यह समाज अच्छे से जानता है…. लेकिन , बहुत कम लोग हैं जो #पुरुष_वेश्यावृत्ति या #प्लेबॉय के बारे में जानते हैं .. जिन्हें #जिगोलो कहा जाता है।
यह एक ऐसा व्यवसाय है जिसमें जोर जबरदस्ती नहीं बल्कि स्वेच्छा से लोग शामिल होते हैं… और इन की खरीद-फरोख्त भी स्वेच्छा से ही की जाती है … ।।यानी कि यह पुरुष वेश्यावृत्ति औरतों की वेश्यावृत्ति की तरह से तकलीफदेह नहीं है ….
यूं तो यह बेहद #संभ्रांत परिवार की औरतों का #महंगा_शौक है जो मुंबई और दिल्ली जैसे महानगर में तेजी से फल-फूल रहा है …..इसमें लड़कियों की वेश्यावृत्ति की तरह से इस पेशे में धकेला नहीं जाता बल्कि लड़के खुद अपनी स्वेच्छा से अपने शौक को पूरा करने के लिए कभी-कभी मस्ती करने के लिए या बेरोजगार होने की हालत में इसे रोजगार की तरह से करते हैं.. …रात 10:00 बजे से सुबह 4:00 बजे तक जिगोलो की मंडियां सजती है….. और बड़ी-बड़ी लग्जरी कारों में संभ्रांत कहे जाने वाले परिवारों से औरतें …लड़कियां ….उम्र दराज औरतें भी अपने लिए जिगोलो नामक खिलौना चुनती हैं….. रात भर खेलती हैं या फिर घंटे के हिसाब से और सुबह की रोशनी के पहले ही वापस अपने घर को चली जाती हैं .. ‌‌कभी कभी शहर से बाहर आउट हाउस पर जाने का भी इंतजाम होता है …..लेकिन इन्हें पाना सबके बस की बात नहीं है . यह 3000 से लेकर 8000 तक के मिलते हैं एक रात में 8000 कमा लेना कौन नहीं चाहेगा !!!! एक छोटी मोटी नौकरी करने वाला मुश्किल से 8000 पाता है महीने का ….इस हिसाब से यह हर तरह से फायदेमंद सौदा है….. बस इसके लिए चाहिए ….
#गठीला_शरीर …..
#फर्राटेदार_अंग्रेजी और
#बड़ा लिंग….
क्योंकि… आपका लिंग का साइज आपका दाम तय करेगा…. इनके गले में लगा पट्टा इनके लिंग का साइज बताता है.. ‌‌
यह मिलते हैं किसी पब में डिस्को में और बड़े होटलों में…. इसमें काम करने वाले 18 साल के लड़के से लेकर 50 साल साल के पुरुष भी हो सकते हैं….
आखिर कौन औरतें होती हैं आखिर इन पुरुषों के खरीदार????
यह वह है जिनके पास अथाह पैसा है ….लेकिन शारीरिक जरूरतें पूरी नहीं हो पाती या उन्हें 1 से पूरा नहीं पड़ता है …
यह वह औरतें होती हैं जो चेंज में विश्वास करती हैं….
यह किसी मजबूरी वश नहीं सिर्फ मजे के लिए किया जाने वाला महंगा शौक है ….शराब पीना सिगरेट पीना और फिर जिगोलो संग #कामाग्नि को बुझाना…. #फैशन सा बन गया है .. ‌।।
#समर्पण #त्याग #भावात्मक_लगाव… । यह सब इनके लिए डिक्शनरी में ढूंढे जाने वाले शब्द हैं ….इन शब्दों का इनके जीवन में नितांत अभाव रहता है।
मर्दों की मंडी में पुरुषों के जिस्म की नुमाइश होती है … औरतें इन्हें छू कर और परख कर अपने लिए पसंद करती हैं …और फिर कुछ घंटे #शराब #सिगरेट और मदहोशी के नशे में बिता कर मुंह अंधेरे ही वापस सफेद उजाले में आने के लिए तैयार हो जाती हैं।
इस काम को करने वाले अधिकतर कम उम्र के लड़के ही होते हैं यानी 18 से 30 वर्ष के… इनकी डिमांड भी अधिक है. ‍ यहां औरतें बोली लगाती हैं और मर्द बिकते हैं ….कई बार यह अच्छे कॉन्टेक्ट्स पाने के लिए भी इस काम को करते हैं । सड़क किनारे कुछ इलाके प्रमुख बाजारों के पास लड़के खड़े हो जाते हैं… लक्ज़िरी गाड़ियां रूकती हैं और सौदा तय होने पर जिगोलो बैठता है और गाड़ी धुआं उड़ाती चल देती है …..होटलों में यह काम थोड़ा आसान हो जाता है क्योंकि वहां उन्हीं के कमरों में इस काम को अंजाम दिया जाता है।
इनकी भी एक अलग से यूनिफॉर्म होती है और यह रेस्त्रां में बैठकर ग्राहकों का इंतजार करते हैं।
यह किसी #कॉरपोरेट सेक्टर की तरह से काम करता है.. । यहां #डीलिंग का काम बहुत सिस्टेमेटिक तरीके से होता है और कमाई का 20% बिकने वाले पुरुष को अपनी संस्था को देना होता है जिससे वह जुड़ा होता है।
शुरू में तो शायद वह अपनी जरूरतों को पूरी करने के लिए करता है लेकिन बाद में उसे इस काम की आदत और लत लग जाती है ….क्योंकि 30 दिनों तक पसीना बहाने के बाद उसे शायद 3000 रुपए प्रतिदिन के हिसाब से नहीं मिलेंगे 8 घंटा पसीना बहाने के बदले……तो यदि एक घंटा पसीना बहाने पर 3000 मिल रहे हैं तो यह हर हाल में फायदे का सौदा है …..शायद इसीलिए बाद में लड़के इसे छोड़ना नहीं चाहते …..कई बार उन्हें यह काम फिल्मों में और मॉडलिंग में जाने की सीढ़ी भी लगता है ।
कुछ प्रश्न जिनके जवाब ढूंढना बहुत जरूरी है ….
पहली बात….यह सही है कि लड़कियों को अक्सर इन कामों में धकेला जाता है ….उसके लिए उन्हें यातनाएं दी जाती हैं और बहुत कम दामों में उन्हें बेच दिया जाता है …..लेकिन यह लड़के जो अपनी स्वेच्छा से इस काम को कर रहे हैं कल को जब वे अपना घर बसाना चाहेंगे तो क्या वे अपने परिवार के लिए एक आदर्श पिता और आदर्श पति बन पाएगा???? मुझे तो नहीं लगता !!!! वह अपने बच्चे को किस तरह की सीख देगा जहां पैसा ही सब कुछ है???
दूसरी बात…. बेरोजगारी के चलते भी इन चीजों में बढ़ोतरी हुई है…. क्या यह एक सभ्य समाज को गलत दिशा की तरफ मोड़ने जैसा नहीं है ????? यदि वेश्याओं की मंडियों पर छापे पड़ते हैं तो इन सम्भ्रांत परिवार की औरतों की अय्याशी के लिए बने यह जिगोलो के् अड्डों पर छापे क्यों नहीं पड़ते???? क्या यह सब सरकार की देखरेख में नहीं हो रहा????
तीसरी बात ….क्या हम समाज को एड्स जैसी बीमारी की तरफ नहीं धकेल रहे ???? क्योंकि एड्स एक ऐसी बीमारी है जो आती बहुत खामोशी से है लेकिन जब जाती है तो जान लेकर जाती है ……
हम #प्रेम जैसे बहुमूल्य शब्द का अर्थ खोते जा रहे हैं तेजी से…. समाज में जहां एक पुरुष के लिए औरत का शरीर ही सब कुछ है अब एक और ऐसा समाज पैदा हो रहा है तेजी के साथ जहां एक औरत के लिए सिर्फ पुरुष का शरीर ही सब कुछ रह गया है … ‌।मुझे नहीं लगता कि कोई भी महिला यह कहे कि उसको आत्मीयता नहीं मिलती अपने परिवार से इसलिए वह जिगोलो का इस्तेमाल करती है ….1 घंटे में या 1 रात में कोई किसी के साथ आत्मीय नहीं हो सकता …..जबकि पता है अगले रात कोई और होगा. ‌… अर्थात हम मानसिक ना होकर सिर्फ शारीरिक रह गए हैं और शरीर ही सब कुछ है …..इसलिए शरीर की पूर्ति के लिए शरीर ढूंढ रहे हैं।

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