Site icon Youth Ki Awaaz

ज़रूरी है कि ब्यास नदी त्रासदी के दोषियों पर सख्त कारवाई हो!

पंजाब की पांच प्रमुख नदियों में ‘ब्यास’ वह एकमात्र नदी है जिसे मैंने देखा है और एक से अधिक बार देखा है। यह अपने वात्सल्य के लिए जानी जाती है और इसकी खूबसूरती मन मोहने वाली है। पिछले कुछ दिन से लगातार एक खबर आ रही है कि बटाला के पास एक शुगर मिल में शीरे का टैंकर फट गया। शीरे का उपयोग शुगर रिफाइन करने में किया जाता है।

कथित तौर पर इस लाखों लीटर केमिकल को ब्यास नदी में बहा दिया गया। इसका परिणाम यह हुआ कि इस केमिकल की वजह से ब्यास नदी में ऑक्सीजन की मात्रा बेहद कम हो गई लिहाज़ा कई जलीय जीव खासतौर पर लाखों मछलियां मरकर नदी के ऊपर तैरने लगीं। यही नहीं एक बड़े दायरे में ब्यास नदी का पानी गाढ़ा काला और बेहद दुर्गंधयुक्त हो चुका है। किनारे पर बसने वाले गांवों के सैकड़ों पालतू पशुओं की भी इस पानी को पीकर मौत हो गयी है और कई गंभीर रूप से बीमार हो गए हैं।

कृषि के लिए इस नदी पर निर्भर एक बड़ी आबादी भी इससे बहुत अधिक प्रभावित हुई है। ब्यास चूंकि पंजाब से बहते हुए राजस्थान तक जाती है इसलिए बहुत बड़ी संख्या में जनजीवन इससे प्रभावित हुआ है।‌ इसके अतिरिक्त ब्यास नदी का धार्मिक महत्व भी है, उस दृष्टि से इस नदी में स्नान करने आने वाले लोग और पर्यटन के लिए आने वाले लोगों को भी भारी तकलीफ उठानी पड़ रही है।

ब्यास नदी के किनारे मृत मछली

विशेषज्ञों का मानना है कि कुछ दिनों तक यदि भारी मात्रा में लगातार इस नदी में जल नहीं छोड़ा गया, तब तक यह समस्या ज्यों की त्यों बनी रहेगी। विशेषज्ञों का हालांकि यह भी साफ मानना है कि इस त्रासदी के बाद नदी के पारितंत्र को पूर्व की स्थिति में आने के लिए कुछ वर्षों तक का समय लग जायेगा! यह मन को बहुत दुःख देने वाली स्थिति है।

हमारे देश में वैसे तो बिरले लोगों को ही पर्यावरण की परवाह होती है और उसमें भी विभिन्न औद्योगिक इकाइयां तो तमाम गाइडलाइंस के बावजूद पर्यावरण, विशेष तौर पर जल स्रोतों को प्रदूषित करने में कोई कोर-कसर नहीं छोड़तीं।

लेकिन बटाला के पास शुगर मिल प्रबंधन ने अपनी बेहद गैरज़िम्मेदाराना हरकत से एक ही बार में आसपास के पूरे पारितंत्र को जिस तरह से भारी संकट में डाल दिया है, वह बहुत अधिक चिंता का विषय है। प्रबंधन द्वारा अपने इस कृत्य को आसानी से अंजाम देने से यह संदेह गहराता है कि इस तरह की और भी घटनाएं हो सकती हैं। इसलिए बहुत ज़रूरी है कि इस घटना के लिए जिम्मेदार प्रबंधन पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाए।

इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखा जाए कि प्रबंधन और प्रशासन की मिलीभगत की वजह से असली दोषियों की बजाय मजदूरों को प्रताड़ित न होना पड़े। फिलहाल इस बात की ज़रूरत है कि ब्यास नदी के उपचार के लिए युद्धस्तर पर उपाय किए जाएं और आगे से इस तरह की घटनाएं न हों इसके लिए तमाम सतर्कता उपाय अपनाए जाएं।


फोटो आभार- स्क्रीनशॉट ANI

Exit mobile version