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Dill ki Awaaz by VK SHARMA

  1. फूल भी अंगार बन जाते हैं।

बड़े-बड़े सूरमा इसके शिकार बन जाते हैं।

समय का तकाज़ा ऐसा है यारों,

तिनके भी तलवार बन जाते हैं।।

 

  1. हर इंसान में इंसानियत नहीं होती।

हर चेहरे पर मासूमियत नहीं होती।

ज्ञान की गठरी तो सब ढोते हैं यार,

हर ढोने वाले की सहुलियत नहीं होती।।

 

  1. हर चीज लाज़बाव नहीं होता।

हर मंजिल ख्वाब नहीं होता।

रोशनी तो सब सितारों में होती,

मगर हर सिंतारा चांद नहीं होता।।

 

  1. इत्तफाक ईम्तहां में बदल जाता है।

जिंदगी के सफर में जहां बदल जाता है।

रोटी की सैरियत तो कुत्ते भी निभा देते हैं,

वक्त के तूफान में इंसान बदल जाता है।।

 

  1. हम जख़्मों से तड़पते रहे।

देखने वाले मुझ पर तरसते रहे।

मगर उनको तरस नहीं आई,

जिनके लिए मेरे दिल धड़कते रहे।।

 

  1. दर्द इतना था कि हम तड़पते रहे।

झर-झर आंखों से आंसू बरसते रहे।

जिसके भी पास गए हम फरियाद लेकर,

देखते ही वो मुंह फेर कर सरकते रहे।।

 

  1. न जाने क्यों मैं सपने सजाए रखा था।

दिल में उनको मैं बसाये रखा था।

खुशी के बदले गम भी नहीं दिए,

जिनको पलकों पर मैं बिठाये रखा था।।

 

  1. जिंदगी नहीं तो मौत​ नसीब होगा।

फूल नहीं तो कांटा नसीब होगा।

ऐसे भी मैं जीना नहीं चाहता,

जीता इसलिए हूं कि कभी तो खुशी नसीब होगा।।

 

  1. पत्थर से भी पसीने छूट जाते हैं।

रूख हवा के मुड़ जाते हैं।

हर अपना बेगाना लगता है,

जब प्यार में दिल टूट जाते हैं।।

  1. अंगूर की जवानी जब चढ़ जाती है।

पीने वालों की कहानी बदल जाती है।

बिगड़ जाता है जब होशो-हवास उनके,

तो शरीफों की भी नियत बिगड़ जाती है।।

 

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