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सुनो लड़कियों, ‘आज़ादी’ तुम्हारा अधिकार है, किसी की दी हुई छूट नहीं

“मुझे तो घर में बहुत छूट मिल रखी है। मैं कभी भी कहीं भी जा सकती हूं। जो चाहे कर सकती हूं, जो चाहे पहन सकती हूं। मेरे घर में किसी चीज़ को लेकर मनाही नहीं है”, अक्सर हम लड़कियों को यह कहते सुनते हैं। क्या सच में ये आपकी छूट है? आपको नहीं लगता यह आपका अधिकार है? क्यों लड़कियां घूमना-फिरना, मौज-मस्ती करना अपनी पसंद से ज़िंदगी जीने को छूट का नाम देती हैं। जबकी यह छूट नहीं है, यह आपका अधिकार है।

आप भी इस दुनिया में खुद की मर्ज़ी से जी सकती हैं। जो चाहे पहन सकती हैं, खा सकती हैं, घूम सकती हैं, अपनी पसंद की नौकरी कर सकती हैं, पढ़ सकती हैं। यह सब आपका अधिकार है। इसे छूट का नाम देकर हम खुद लड़कियों को कमज़ोर बना देते हैं। अगर हम चाहते हैं कि लड़कियां आगे बढ़े, खुद कुछ करने की हिम्मत रखे तो सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि यह सब उनका अधिकार ही है, जो हम उन्हें दे रहे हैं ना कि किसी तरह की छूट।

आज देश में लड़कियां आगे बढ़ रही हैं। मिताली राज, गीता फोगाट, मैरी कॉम, पी.वी.सिंधु, सानिया नेहवाल, जैसी कई मशहूर हस्तियां जो आज पूरी दुनिया में नाम कमा रही हैं। इसीलिए नहीं कि उन्हें उनके घर में छूट मिल रखी थी, बल्कि उन्होंने खुद पर भरोसा किया और अपने अधिकारों को पहचाना। कई तो अपने अधिकारों के लिए लड़ी फिर अपने मुकाम तक पहुंची। आज नहीं पहले भी लड़कियां अपने अधिकार के लिए लड़ती आई हैं। जिन्होंने अपने हक के लिए आवाज़ उठायी वो जिंदगी के एक मुकाम पर पहुंच गयीं। जिन्होंने आवाज़ नहीं उठायी वो आगे नहीं बढ़ सकीं। इसीलिए, अपने हक को पाने के लिए खुद संघर्ष करना पड़ता है। इसके लिए यह जानना ज़रूरी है कि आप अपने अधिकार के लिए लड़ रहे हो ना कि छूट पाने के लिए।

एक आवाज़ जो उठानी ज़रूरी है। पहले का वक्त कुछ और था, आज का वक्त कुछ और है। अब ज़माना छूट देने का नहीं रहा, अब ज़माना अधिकार पाने का है। सोच बदलने में वक्त तो लगता है, लेकिन अगर सोच अच्छी हो तो बदल ही जाती है। बस यह है कि पहले की छूट और आज के अधिकार में अंतर है। अगर आज लड़कियां अपना हक पहचान जाएं, तो उन्हें ऊंचाइयों तक पंहुचने में कोई नहीं रोक सकता।

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