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बागीश मिश्रा की कविता: हुक्मरान

कुछ मत कहो कोई सुनता होगा

अपनी आवाज़ को सीने में ही दबा लो

शायद

सरकार के पहरेदार घूमते होंगे

उनकी नज़रों से खुद को छुपा लो

अगर आवाज़ उठाओगे तो देशद्रोही कहलाओगे ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌

तुम्हें जंजीरों में बांधा जाएगा

समाज के गलियारों से घसीटते हुए

तुम्हें काल कोठरी में फेंका जाएगा

फिर तेरे परिजनों को सामने लाया जाएगा और

उनसे यह जबरन कहलवाया जाएगा

हां…

हां मेरा बेटा देशद्रोही है।

उनके आंसुओं को एक शीशी में भरकर

प्रदर्शनी के लिए रखा जाएगा।

तुम्हें जीते जी जहन्नुम की आग में जलाया जाएगा

क्योंकि तुमने हुक्मरानों के खिलाफ आवाज़ उठाई है।

यदि देश भक्त बनना चाहते हो तो

उनके ठेकेदार के पास जाओ

उनसे प्रमाण पत्र लेकर आओ

अथवा चुप हो जाओ

    अपनी आवाज़ को अपने सीने में ही दबाओ

   अपनी आवाज़ को अपने सीनेे में ही दबाओ।

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