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ट्रांसजेंडर होने के कारण घर से निकाल दिया गया था, आज हैं सरकारी अफसर

जिसके पैदा होने से घरवालों को दिखावा करना पड़ा कि बेटा हुआ है, वो बेटा नहीं एक हिजड़ा था। समाज की दुत्कार मिली उसे , माँ-बाप ने भी हाथ छोड़ा, क्या उसे जीने और सामाजिक बराबरी का हक नहीं था?

क्या बस नर और नारी ही इंसान हैं, किन्नर और हिजड़े नहीं? समाज की इसी गंदी सोच की वजह से ना जाने कितने ही ट्रांसजेंडर अपनी ज़िंदगी सही से नहीं जी पाते हैं। इन्हीं में से एक हैं अम्रुता सोनी, सरकारी ट्रांसजेंडर अफसर, जो हिजड़ों, किन्नरों और HIV पॉजिटिव लोगों के हक़ के लिए लड़ती हैं। अम्रुता ने अपनी ज़िंदगी में जो भी तकलीफें झेलीं एक हिजड़ा होने के कारण वे दूसरे लोगों के साथ ऐसा नहीं होने देना चाहती थीं। इनकी ज़ज्बे भरी कहानी जाने के देखें यह जोश Talk

अम्रुता का सफर

सोलापुर, महाराष्ट्र में एक कैथोलिक परिवार में जन्मी अम्रुता सोनी ने हमेशा ही भेद-भाव का सामना किया है। उनकी वजह से उनके माँ-बाप का तलाक भी हो गया। जब वे 16 वर्ष की थीं तो एक दिन उनकी माँ ने भी उन्हें घर से निकलने के लिए कह दिया। समाज तो छोड़ो उनके परिवार के सगों ने भी अम्रुता को दुत्कारा और लांछन लगाए। उन्होंने हार नहीं मानी और जैसे तैसे करके पैसे कमाना शुरू किया। दसवीं पास, 16 साल की उम्र में चौराहे पर “ला भैया पैसे दे” बोलना उनके लिए बहुत कठिन था। लेकिन वे ये सब सिर्फ अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए कर रही थीं। उन्होंने जामिया इस्लामिया से अपनी ग्रेजुएशन की और सिम्बायोसिस से MBA पूरी करी।

मास्टर डिग्री मिलने के साथ ही उन्हें HIV पॉजिटिव होने की रिपोर्ट भी मिल गई थी। उन्होंने घबराए बिना इस मुसीबत का सामना किया। डिग्री तो उन्हें मिल गई थी लेकिन एक हिजड़ा होने की वजह से उन्हें नौकरी देने को कोई तैयार नहीं था। जहाँ भी जाती सब उन्हें बस एक किन्नर होने की वजह से मन कर देते थे और बोल देते थे तू जा घुंघरू बांध के नाच। यहां तक कि उन्हें इंडियन नेवी तक में सिर्फ इसी कारण से नहीं लिया गया।

खुद को संभालने के बाद आज अम्रुता बहुत से ट्रांसजेंडर और HIV पॉज़िटिव बच्चों की मदद करती हैं और उनका साथ देती हैं। उन्होंने इस बात को कभी नहीं स्वीकारा कि वो इस समाज से अलग थीं। ना उन्हें कोई खास व्यवहार की उम्मीद थी। नाही वे खुद को बेचारा दिखाती थी। उनका मानना है कि आप जो हैं उसमें आपकी गलती नहीं है तो फिर खुद को सज़ा क्यों देनी। ज़िंदगी हमारी है तो उसे अपने तरीके से जियो और वक्त का सही इस्तेमाल करो।

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