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‘प्यार के देवता’ महेश भट्ट की एक कहानी ये भी, जो बहुत कड़वी है

पिछले साल महेश भट्ट के जन्मदिन पर कई आर्टिकल्स पढ़े कि कैसे वो एक Well Read और Intellectual फिल्ममेकर हैं। तब मैं इस बात से इम्प्रेस्ड थी कि बॉलीवुड में ऐसे भी लोग हैं। ‘मॉडर्न लिबरल लाइफ’ का एक बेहतरीन उदाहरण। ऐसा लगा कि इस इंसान की ‘बेपरवाह ज़िंदगी और मल्टिपल अफेयर्स’ पर अच्छी किताब भी लिखी जा सकती है।

लेकिन कल मुझे कुछ और ही चीज़ें दिखाई दीं।

कल मैंने महेश भट्ट से जुड़े कई इंटरव्यू देखे। उनकी प्रेमिका परवीन बॉबी का इंटरव्यू देखा, इनकी प्रेम कहानी खंगाली, सिमी ग्रेवाल के एक घंटे के एपिसोड रोक-रोक कर देखा, आलिया भट्ट और पूजा भट्ट के इंटरव्यूज़ देखे। सोनी राजदान का इंटरव्यू देखा। और वो aura जो महेश भट्ट के लिए क्रिएट हुआ है, मेरे लिए टूट गया।

महेश भट्ट ने बचपन की स्वीटहार्ट किरण भट्ट से शादी की। 21 की उम्र में महेश पिता बन गये, कुछ सालों बाद महेश भट्ट को उस समय की हाइएस्ट पेड सुपरस्टार परवीन बॉबी से प्यार हो गया। महेश अपने इंटरव्यूज़ में कुछ ऐसे दर्शाते हैं कि प्यार होता है तो आपको कुछ फर्क नहीं पड़ता है कि आपके बच्चे हैं। आपको हर महीने उनकी स्कूल की फीस भेजनी है, भेज देंगे, पर अपना प्यार ज़रूरी है। महेश भट्ट की बातों से लगा कि उनके बच्चों के लिए किरण भट्ट थीं, पर परवीन बॉबी के लिए बॉलीवुड में सिर्फ महेश ही थे। इसलिए उन्होंने बीवी बच्चे छोड़कर परवीन का हाथ थामा।

हालांकि बात ये भी है कि महेश भट्ट द फिल्म मेकर के तौर पर तो मशहूर हुए ही, उससे पहले उन्हें परवीन बॉबी के बॉयफ्रेंड के तौर पर ज़्यादा जाना गया। परवीन की सुपरस्टार की इमेज ने इनका करियर भी चमकाया। पर उसी वक्त परवीन बॉबी की schizophrenia की बीमारी उभर रही थी और वो कई चीज़ों से डर रही थीं। महेश कई बार अपने इंटरव्यूज़ में उस रात की बात बताते हैं जब वो अपने कपड़े उतार कर परवीन बॉबी के बिस्तर पर जा रहे थे। परवीन ने उन्हें अपनी पत्नी और खुद के बीच किसी एक को चुनने के लिए कहा। महेश ने अपनी पत्नी को चुना।महेश ये बताना नहीं भूलते कि परवीन stark naked यानी एकदम निर्वस्त्र उनके पीछे भागी थीं। प्यार का ये ग्राफिक डिस्क्रिप्शन अद्भुत है।

अगर परवीन बॉबी की बीमारी नहीं बढ़ी होती तो क्या महेश ये बात बोल पाते? आज कोई एक्टर अपनी प्रेमिका के बारे में ऐसी बात बोल सकता है क्या? सबसे बड़ी बात कि ये किस तरह का प्यार था जिसमें प्रेमिका की बीमारी बढ़ते ही ब्रेकअप कर के महेश अपनी पत्नी के पास चले गये, तो क्या दोनों औरतों का महेश को समर्पित होना ही लिबरल प्यार का पैमाना था?

पहली बीवी क्या थीं? जब मन किया आपको किसी से प्यार हो गया? कुछ साल लिव इन में रहे, फिर प्यार नहीं रहा तो पहली बीवी के पास आ गये। सब कुछ खुद के हिसाब से, महेश भट्ट के हिसाब से। परवीन बॉबी, पहली पत्नी, दो बच्चे, सब महेश के हिसाब से चलेंगे, क्योंकि His life and his rules(उनका जीवन, उनका नियम)?

खुद के ही मुताबिक ब्रेकअप के 15 साल बाद जब महेश भट्ट परवीन बॉबी से मिले तो हैलो तक नहीं की, क्योंकि महेश भट्ट अपने प्रेम प्रसंग से ओवर हो चुके थे। 15 साल तक परवीन बॉबी मेन्टल ट्रॉमा से गुज़रती रहीं। महेश भट्ट फिल्में बनाते रहे, आखिर में वो मर गईं। महेश भट्ट और फिल्में बनाते रहे। परवीन के मरने पर अंतिम संस्कार करने पहुंचे और एक बार फिर अपनी लवर वाली इमेज क्रिएट कर ली। अब वो फिल्मफेयर की मैगज़ीन को बताते हैं कि वो परवीन बॉबी को कितना प्यार करते थे।

इससे पहले महेश भट्ट ने सोनी राजदान से शादी कर ली थी।

क्या महेश भट्ट के my choice रूल्स से उनके परिवार पर असर नहीं पड़ा होगा? ये सोचने लायक बात है।

इंडिया टुडे की एक वीडियो में करण थापर आलिया, पूजा और महेश से बातचीत कर रहे हैं। इस बातचीत के दौरान पूजा बताती हैं कि कैसे वो महेश भट्ट की साइड लेती थीं, जब-जब वो घर आकर मम्मी से लड़ाई करते थे। ये गोविंदा और कादर खान वाली लड़ाई नहीं होती होगी।पारिवारिक लड़ाईयां इमोशनली बेहद भयावह होती हैं और बच्चों पर असर डालती हैं। सबसे बड़ी बात कि इतनी बड़ी-बड़ी बातें करनेवाले लिबरल को तमाम अफेयर्स के बाद अपनी पहली पत्नी से लड़ाई करने की क्या ज़रूरत थी? बेटियों ने शायद पिता की गलतियों को अनदेखा कर दिया। शायद उन्होंने प्रीटेंड कर लिया कि पिता ने ज़्यादा गलती नहीं की।

आलिया भट्ट के साथ महेश भट्ट

Look Who’s talking with Niranjan में आलिया भट्ट बड़े ही क्यूट तरीके से बताती हैं कि कैसे उसके डैड एक पजेसिव डैड हैं। वो अपनी बेटियों के बॉयफ्रेंड्स से जेलसी महसूस करते हैं। कोई आलिया या शाहीन को गिफ्ट दे तो कहते हैं- इससे अच्छा गिफ्ट तो मैं तुम्हें दे दूंगा। वो किसी को गिफ्ट दें तो महेश खुद के लिए उनसे बड़ा गिफ्ट मांगते हैं। इस बात का मतलब क्या है? हर लड़की की निगाह में सिर्फ महेश भट्ट होने चाहिए? सेंटर ऑफ अट्रैक्शन।

सबसे अजीब इंटरव्यू लगा सिमी ग्रेवाल के शो का जब महेश भट्ट सोनी राजदान के साथ आये थे। ऐसा लगा जैसे हमारे समाज के आस पास का मर्द आया है जो अपनी ‘कमतर’ बीवी के बारे में ज़्यादा इज्ज़त से नहीं बात करता। सोनी अजीब से डरे हुए बॉडी लैंग्वेज में बैठी हैं। नर्वस जवाब दे रही हैं, महेश के आगे-पीछे जवाब। इंटेलेक्चुअल के सामने कैसे बोलेंगी? महेश उनको आउट ऑफ टेन रेट कर रहे हैं। पर महेश कहीं पर भी उनको पत्नी/अर्धांगिनी का दर्जा नहीं देते। सोनी उनके वफादार सिपहसालार की तरह बैठी हैं। आलिया भट्ट भी कई इंटरव्यूज में अपनी मम्मी सोनी राजदान के खूब ‘गिविंग’ और ‘त्यागी’ होने की बात करती हैं। ये हमारे समाज का एक कॉमन फीचर है।

ऐसा लगा कि पॉपुलर लिबरल लाइफ के तरीके सिर्फ एक इंसान की इच्छाओं को पूरा करने के लिए है। अगर उस इंसान को किसी आर्ट का ज्ञान है तो वो अपने हर काम को बड़े-बड़े शब्दों में जस्टिफाई कर देगा।

ये सब लिखने का सार यही है कि हर साल महेश भट्ट के जन्मदिन पर उनकी पर्सनल लाइफ की तारीफों के पुल ना बांधे जायें। जो आदमी पहली बीवी को छोड़कर परवीन बॉबी, फिर परवीन को छोड़कर पहली बीवी, फिर पहली बीवी को छोड़कर दूसरी बीवी करता रहा, जिसके कामों की वजह से बच्चों की मेंटल हेल्थ खराब हुई, जिसने अपनी और परवीन की प्रेम कहानी सिर्फ बेचने भर के लिए इस्तेमाल की, वो इंसान मेरे हिसाब से किसी भी तरह से लिबरल नहीं है।

लिबरल इंसान के साथ मिलकर उसके पार्टनर की लाइफ भी लिबरल होती है। वो अपने पार्टनर की ग्रोथ का हिस्सा बनता है। सिर्फ खुद के कामों को जस्टिफाई नहीं करता। पर कई लोगों को खुद की इच्छाओं के आगे कुछ नज़र नहीं आता। मौका पाकर ये हर चीज़ का क्रेडिट लेना भी नहीं भूलते, चाहे वो बात क्रेडिट लायक हो या ना हो।

You were right Alia when you said, “My father is an attention seeker”.

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