घर पर बैठे बड़े इत्मिनान से आज फेसबुक पर Online था। विभिन्न वीडियो को देखने के क्रम मे एक वीडियो पर नज़र पड़ी जिसे “द लल्लनटॉप” नामक पेज से शेयर किया गया था। उसे प्ले करते ही पता चला यह वीडियो पश्चिम बंगाल के दक्षिण चौबीस परगना नामक ज़िले का है, जहां एक चलती ट्रेन में एक युवक से कुछ लोग कुछ सवाल पूछ रहे थे। चंद मिनटों के उस वीडियो से यही पता चला कि वह गांव मे रहने वाला कम पढ़ा लिखा एक साधारण सा युवक है जो निश्चित रूप से शहर से मज़दूरी कर देर शाम थका हारा वापस अपने घर को लौट रहा था।
वे लोग उससे सवाल में भारत के प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति का नाम पूछ रहे थे। जवाब देने के क्रम में वह युवक गलत जवाब दे गया। गलत जवाब देते ही उसे थप्पड़ पड़ने लगे।
मैं बंगाल के युवाओं और विशेषतः वे लोग जो इस घटना के समय ट्रेन में बैठ तमाशा देख रहे थे उनसे ये पूछना चाहुंगा कि आखिर यह कैसा बंगाल बन रहा है जहां एक युवक को सिर्फ इसलिए थप्पड़ मारा गया हो क्योंकि वह अपने देश के प्रधानमंत्री के नाम बताने मे असमर्थ रहा। इसी बंगाल कि भूमि पर कभी कवि गुरु रविन्द्रनाथ ठाकुर ने हिन्दू-मुसलमान के विषमताओं से काफी उपर उठकर “काबुलीवाला” लिखा था। आखिर ये कैसा राष्ट्रवाद है जिसकी परिभाषा मज़हबी बैर और मानवता का खून है। इसी धरती पर कवि गुरु ने राष्ट्रवाद पर कहा था ”
Patriotism cannot be our final spiritual shelter; my refuge is humanity. I will not buy glass for the price of diamonds, and I will never allow patriotism to triumph over humanity as long as I live”
उन्होंने मानवता को राष्ट्रवाद से उपर रखा था और यहां तो मुद्दा सिर्फ फर्ज़ी राष्ट्रवाद का था। ये घटनाएं किससे प्रभावित हैं ये मुझे नहीं मालूम । बस इतना कह सकता हू कि मां भारती के हित के लिए यह सही नहीं है।