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लड़कों का Mr. होना ही काफी है, फिर लड़कियों का Miss./Mrs./Ms. जानना ज़रूरी क्यों?

नौकरी के लिए फॉर्म भरो या फ्लाइट बुक करो, टाइटल के तौर पर नाम से पहले Miss/Mrs., Ms. और Mr. जैसे विकल्प का चयन करना होता है। मुझे हर बार खटकता कि औरतों के वैवाहिक जीवन से जुड़ी निजी जानकारी का किसी से भी क्या मतलब है भला।  हालांकि Ms. का विकल्प भी यदा-कदा दिख जाता है। पर पुरुषों के लिए केवल एक ही विकल्प है Mr. मतलब उनका विवाहित या अविवाहित होना मायने नहीं रखता।

मुझे यह बात इतनी चुभी तो लगा कि इतनी सामान्य बात ऐसा तो मुमकिन नहीं कि किसी और के मन में  खटकी नहीं होगी। जब मैंने और लोगों के विचार जानने की कोशिश की तो दुखद आश्चर्य हुआ कि इसका इतिहास इतना विडम्बनात्मक है कि जल्द से जल्द यह पद्धति बदली जानी चाहिए।

एक महिला के विवाहित होने या ना होने के निजी फैसलों में समाज की इतनी दखलंदाज़ी है कि अगर शादी नहीं हुई तो ये उस लड़की और उसके परिवार के लिए शर्म की बात है। लोग आपके बारे में क्या धारणा बनायेंगे यह इस बात पर निर्भर करेगा कि एक उम्र के बाद (उन्हीं की तय की हुई) आप Miss हैं या Mrs. और अगर तलाकशुदा हैं तब तो एक अलग ही कहानी है। एकल/विधवा/तलाकशुदा जैसे कॉलम तक दिखाई देते हैं। 

Religious belief और Gender भी मुझे बड़े बेतुके कॉलम लगते हैं। क्योंकि इस तरह के कॉलम भरने के लिए अनिवार्य होते हैं तो मन मारकर  Religious belief  में तो Others को चुन लेती हूं लेकिन जेंडर स्पेसीफाई करना पड़ता है।  मतलब जाति भी गैरज़रूरी है लेकिन आरक्षित स्थानों पर इस तरह की जानकारी के लिए तर्क जुटाए जा सकते हैं। लेकिन नौकरी में जहां कोई विशेष सुविधा लिंग, विवाहित, अविवाहित, विधवा या तलाकशुदा होने के आधार पर नहीं दी जा रही है इस तरह की जानकारी मांगने का क्या औचित्य है आखिर? बेहतर तो होता कि केवल प्रथम नाम ही काफी होता जिसमें पिता/पति के नाम की ज़रुरत ही न होती। खैर…

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