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Narazgi

कह गए तुम बदल गए हो मौसम की तरह
खंज़र की जरूरत ही नही थी,मैं वैसे ही मरता
ढल गए तुम बिछड़ते शाम की भाँति मुझसे
तुम ही बताओ गर मैं नाराज़ न होता तो क्या करता

© V@rshitsoni

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