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पलायन की वजह से उत्तराखंड के हज़ारों गांव बन गए हैं घोस्ट विलेज

पृथक उत्तराखंड राज्य निर्माण हेतु एक पीढ़ी ने अपना सर्वस्व गंवा दिया था अनेक नौजवानों ने  स्वर्णिम उत्तराखण्ड का सपना लेकर कुर्बानियां दी थी। विडंबना यह है कि राज्य निर्माण के पश्चात उत्तराखण्ड का विकास भी हुआ तो सिर्फ सपनों में, जिसका सबूत उत्तराखण्ड में जारी पलायन के आंकड़े देते हैं।

आज राज्य में 1000 से भी अधिक गांव घोस्ट विलेज (भूतहा गांव) घोषित हो चुके हैं। जहां कोई नहीं रहता, घर खंडहर बन गए हैं, 2000 गांव के घर ऐसे हैं जो किसी खास मौके पर खुलते हैं। महज़ 20 फीसदी पहाड़ी ज़मीन पर ही खेती की जा रही है, बाकी 80 प्रतिशत या तो बंज़र पड़े हैं या व्यवसायिक कारणों के लिए बेच दिए गए हैं।

गिरी संस्थान की रिपोर्ट के मुताबिक हर गांव से 30 परिवार पलायन कर रहे हैं। किन्तु सरकारी तौर पर ठोस कार्रवाई नहीं हो रही। यद्यपि वर्तमान सरकार द्वारा बीते साल पलायन आयोग का गठन कर दिया गया किन्तु आयोग भी खानापूर्ति बन कर रह गया है और पलायन निरन्तर जारी है। यद्यपि अतिन्यून मात्रा में रिवर्स माइग्रेशन हुआ है जिसको लेकर ही सरकार अपनी पीठ थपथपाती नज़र आती है।

पलायन के कारणों में  स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव शिक्षा सुविधाओं का अभाव रोज़गार का अभाव मुख्य है। सर्वाधिक समस्या रोज़गार की है। उत्तराखण्ड के अधिकाश विभाग संविदा कर्मियों और आउटसोर्स कर्मियों के माध्यम से चल रहे हैं। कई सालों से इनके सहारे ही विभागों की नैया पार हो रही है।

सरकार  इनके हितों के प्रति सतर्क नहीं है, ये कर्मी रिवर्स माइग्रेशन के भी मुख्य अंग रहे हैं जो पूर्व में पलायन कर चुके थे। सरकारी सेवा में चयनित होने की लम्बी प्रक्रिया पलायन का कारण बन चुकी है। कोई भी परीक्षा दो-चार बार निरस्त हुए  बिना नहीं हो पाती उसके बाद परिणाम की जल्द उम्मीद करना बेमानी है। परिणाम आने के पश्चात उसमें किसी घोटाले का उजागर होना, फिर चयन प्रक्रिया का माननीय कोर्ट में विचाराधीन होना ये चयन प्रक्रिया के चरण बन गये हैं। ऐसी दशा में युवाओं का हताश होकर पलायन की ओर अग्रसर होना निश्चित है।

किन्तु सरकारें  पिछली सरकारों पर आरोप लगाकर अपना पल्ला झाड़ती नज़र आती है। समय है यदि अभी सरकार ना चेती उत्तराखण्ड का जनमानस न चेता तो इस हिमालयी राज्य में पलायन और विकराल रूप ले लेगा। लोकसंस्कृति समाप्त हो जायेगी, जिसके लिए शायद हमारी आने वाली पीढ़ी हमे कभी माफ नहीं करेगी।

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