प्रेम में कत्ल होना
कोई नयी बात नहीं है
आप प्रेम करते ही हो, कत्ल हो जाने के लिए !
प्रेम में कत्ल होता है
संस्कारों का; पुरातन विचारों का
प्रेम में कत्ल होता है
सड़े-गले खानदानी अहंकारों का।
आदमी जब प्रेम में होता है
तो हर तौर से अपना सब कुछ खोता है!
पाता बस इतना भर है
कि प्रेम में चूकने के बाद भी
प्रेमपगे वे सारे पलछिन ढोता जीवन भर है।
यह कत्ल होने से क्या कम है ?
मगर, इस प्रेम का विधान तो देखिए
कि जैसे चंदन-वृक्ष की भांति
उससे लिपटने की ख़ातिर
नवांकुरों की कतारें उद्यत रहती हरदम हैं !
पर बड़ा फर्क है प्रेम में कत्ल होने
और कातिलों के चाकुओं से
प्रेमियों की गर्दनों के चाक हो जाने में !
प्रेम में कत्ल होने का अर्थ
धरती के इस छोर से उस छोर तक
प्रेम-अगिन की अनगिन फसलों का बोना है !
कत्ल होना कातिलों के हाथों
आदमियत के सारे रिश्तों का खोना है
धरती की कोख को नरक-कुंड से धोना है !