मैं हर रोज़ सुबह उठती हूँ ,
यह सोचते हुए की आज मैं भी
अपने दोस्तों की तरह लुंगी सेल्फी , डालूंगी कोई स्टेटस , और लिखूंगी
WHATS IN MY MIND
&
HOW I M FEELING
लिखूंगी कोई कविता,
कि कितना अच्छा लगता है,फूलों का खिलना ,
चिड़िया का चहिचहाना, यह पहाड़ ,
यह बारिश और बारिशों की बूंदों का धीरे धीरे से टपकना ,
और एक perfect view सेल्फी के लिए अच्छी caption के साथ,,,,,।।
पर
जैसे ही उठते देखती हूं फेसबुक newsfeed •••••
बलात्कारी के लिए तिरंगा लहलहाते,
इंसान को ज़िंदा जलाते,
सिर्फ गले लगाने पर भीड़ को मारते,
धर्म के नाम पर लोगों को काटते ।।
तब फोटो अपलोड तो दूर ,
उसके ख्याल से भी कांप उठती हूँ मैं।।
हिमाचल में 3 महीने में
71 रेप, 17 छेड़छाड़ और 22 मर्डर
आह……||
काटते पेड़ ,मारते किसान,जलते मज़दूर ,।।।
तब मैं पूछना चाहती हूं पुराने और अच्छे दिन वालों से,,,क्या सच में ????
पर पूछने की बात सोचते ही याद आता है ,,
हमारा मर रहा लोकतंत्र या ऐसा बोलू मर चुक लोकतंत्र
जिसने पंसारे,दबोलकर, नज़ीब,रोहित,आसिफा,लंकेश जैसे कितने लोगों के कातिलों से ,
एक सवाल तक नही किया।।
जिन्हें सिर्फ इस लिए मारा गया क्योंकि वह सोचते थे और सवाल करते थे।।
इस सब के बारे में सोचते हुए ,
तू ही बता फेसबुक मैं कैसे बियाँ करो
WHATS IN MY MIND
&
HOW I M FEELING
क्योकि तेरी फीलिंग OPTION से नहीं
मेल खा रही मेरी फीलिंग्स,
इन सब के चलते तू बता कैसे अपलोड कर सकती हूं मैं,
मेरे हाथ में फोन देख कर बैठ गयी है आसिफ़ा ,मेरे पास,कि मैं करो उसकी न्यूज़ share और बताऊँ के मन्दिर में जिसे आप भगवान कहते हैं वह एक मूर्ति के सिवाए कुछ नहीं,,
रोहित वेमुला चाहता मैं बताऊँ कि कैसे आज भी जातिवाद जिन्दा है हमारे गाँवों से घरों तक ,और
घरों से फेसबुक यूजर नाम के पीछे,
किसान मज़दूर भी चाहते है ,उनके साथ हो रहे शोषण को लेकर जाया जाए ,
सब के सामने ,
क्योकि मीडिया अपना काम नहीं कर रही,बिकाऊ है वह भी सरकार की तरह कॉरपोरेट्स के हाथ में
अब तू बता फेसबुक
कैसे कर लूं मैं अपनी आँखें बंद,कैसे कर लूँ समझौता अपनी ज़मीर से
और
कैसे बताऊँ तुझे
WHATS IN MY MIND
&
HOW I M FEELING,,,,,,,