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‘कहानियों की कथा’ किसने लिखी थी हिंदी की पहली कहानी?

हिंदी की पहली कहानी की बात करें तो सबसे पहले ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ कहानी याद आ जाती है। जिसे 1901 में छत्तीसगढ़ के प्रथम पत्रकार माधव राव सप्रे ने लिखा था। इस कहानी को उन्होंने अपनी मासिक पत्रिका छत्तीसगढ़ मित्र में प्रकाशित किया था। सर्वप्रथम प्रकाशित होने के कारण इस कहानी को हिंदी की पहली कहानी का श्रेय मिल गया। लेकिन कई विद्वानों के मुताबिक ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ सर्वप्रथम कहानी नहीं है।

हिंदी की पहली कहानी कौन सी थी यह तो आज भी चर्चा का विषय है। दरअसल, आज तक विद्वानों के बीच किसी कहानी को सर्वप्रथम घोषित करने का मतभेद खत्म नहीं हुआ है। सर्वप्रथम कहानी मानी जाने वाली सूची में बहुत सी कहानियां शामिल है। जैसे 1803 में लिखी गयी सैयद इंशाअल्लाह खाँ की ‘रानी केतकी की कहानी’, 19 वीं सदी के उत्तरार्द्ध में लिखी गयी राजा शिवप्रसाद सितारे हिंद की ‘राजा भोज का सपना’, सन 1900 में लिखी गयी किशोरी लाल गोस्वामी की ‘इन्दुमती’, 1901 में लिखी गयी माधवराव सप्रे की ‘एक टोकरी भर मिट्टी’, 1903 में लिखी गयी आचार्य रामचंद्र शुक्ल की ‘ग्यारह वर्ष का समय’ और 1907 में आयी बंग महिला की ‘दुलाई वाली’ कहानी आदि। इन सब कहानियों को हिंदी की प्रथम कहानी माना जाता है।

अब अगर हिंदी में कहानी नाम से सबसे पहली रचना और वर्ष क्रम के मुताबिक देखा जाए 1803 में लिखी गयी सैयद इंशाअल्लाह खाँ की ‘रानी केतकी की कहानी’ प्रथम कहानी होगी। पर विद्वानों के अपने-अपने तर्कों के मुताबिक ऐसा नहीं है, किसी का मानना है की यह सबसे पहले आयी तो यह कहानी प्रथम है तो वहीं दूसरे विद्वानों के अनुसार इस कहानी में तत्व की अपेक्षा कथा तत्व ज़्यादा है, यानी ये कहानी नहीं है, बल्कि औपन्यासिक कहानी है। इसीलिए यह प्रथम कहानी नहीं है, ऐसे ही तर्क बाकी की कहानियों में भी विद्वानों ने लगाए है। किसी ने कहा इस कहानी में मार्मिकता नहीं है, तो कोई कहता है यह कहानी मौलिक नहीं है।

सभी कहानियों को विद्वानों ने अपने तर्क के अनुसार पहली कहानी घोषित किया है। किसी ने भी कहानी कब लिखी गयी इस पर ध्यान न देते हुए कहानी के स्वरूप को लेकर तर्क उठाये हैं। यानी सबने पहली कहानी की रचना में कहानी के स्वरुप और शिल्प को महत्त्व दिया ना कि उसके वर्ष क्रम को। लघुकथा होने की वजह से ‘एक टोकरी भर मिट्टी’ को प्रथम कहानी माना गया, तो कहीं ‘दुलाई वाली’ को उसके शिल्पविधि के कारण आधुनिक कहानी की शुरुआत के तौर पर प्रथम कहानी का दर्जा दिया गया। वहीं ‘इंदुमती’ को मौलिकता के आधार पर प्रथम कहानी माना जाता है।

‘विद्वानों के तर्क’

आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने अपने प्रसिद्ध ग्रन्थ ‘हिंदी साहित्य का इतिहास’ में लिखा है कि, वे ‘इंदुमती’ को पहली कहानी मानते है। पर कहीं ना कहीं शुक्ल जी ने अपने इतिहास में अपनी कहानी ‘ग्यारह वर्ष का समय’ को हिंदी की पहली कहानी के दावेदारों में सम्मिलित भी किया है। वहीं डॉक्टर गणपति चन्द्र गुप्त के मुताबिक हिंदी गद्य में कहानी शीर्षक से प्रकाशित होने वाली रचना ‘रानी केतकी की कहानी’ है। लेकिन वो किशोरीलाल गोस्वामी को हिंदी के प्रथम कहानीकार मानते हैं। इधर, डॉक्टर रामरतन भटनागर ने भी ‘रानी केतकी की कहानी’ को हिंदी की पहली कहानी माना है। पर ये भी जयशंकर प्रसाद की ‘ग्राम’ नामक कहानी को आधुनिक हिंदी की पहली मौलिक कहानी मानते हैं।

इन सब में गौर करने वाली बात तो यह है कि विद्वानों ने सन 1915 में लिखी गयी चंद्रधर शर्मा गुलेरी की ‘उसने कहा था’ कहानी को भी प्रथम कहानी के दौड़ में शामिल कर लिया। जबकि देखा जाए तो ‘रानी केतकी की कहानी’ के करीब 112 साल बाद यह कहानी लिखी गयी है। और रही बात हिंदी की पहली कहानी की तो वर्षक्रम के मुताबिक वो 1803 में लिखी गयी सैयद इंशाअल्लाह खाँ की ‘रानी केतकी की कहानी’ है।

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