वर्तमान राजनीति पर बात करते हुए लोग अक्सर कहते हैं कि मोदी की जगह आखिर लाया किसको जाय! और फिर यहीं से राष्ट्रीय स्तर पर मोदी के विकल्प के तौर पर कांग्रेस आदि पार्टी को रखा जाता है। यही हाल राज्यों में भी है। राज्यों में भी फासिस्ट मनुवादी बीजेपी अथवा अन्य के मुकाबले गंधा चुकी क्षेत्रीय पार्टियों को ही राजनीतिक विकल्प के बतौर देखा जाता है।
ऐसा करने की अपनी कई वजहें हैं। लोगों में बनी-बनाई इस या उस लीक पर चलने की आदत होती है। जबकि नई लीक बनाने के अपने जोखिम होते हैं, जिससे बचने की कोशिश में इन्हीं आसान रास्तों में से एक को चुन लिया जाता है। जबकि ये रास्ते देश-समाज को अंधी गली की तरफ ही ले जाते हैं।
लेकिन जरा ठहर कर सोचिए कि क्या सचमुच में बीजेपी और इन पार्टियों में नीतिगत स्तर पर कोई बहुत बुनियादी अंतर है?
अगर नहीं तो फिर आज से इन सबसे इतर आम जनों के हितों-मुद्दों को केंद्रित करते हुए एक सुसंगत राजनैतिक विकल्प की आवश्यकता पर बात करना शुरु कर दीजिये। देखिये चारों तरफ नये राजनीतिक विकल्प की बयार बहने लगेगी। आज से ब्राह्मणवाद-जातिवाद-फ़ासीवाद -पूंजीवाद के खिलाफ जनपक्षधर राजनैतिक विकल्प की बात शुरु कर दीजिए! लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता, सामाजिक न्याय, समानता, स्वतंत्रता और बंधुत्व आधारित समाज बनाने में आपके इस विमर्श का बहुमूल्य योगदान होगा और देश समाज को इन भेड़ियों से मुक्ति मिलेगी।
लेखक न्याय मंच, बिहार के सक्रिय कार्यकर्ता हैं।