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मीडिया गवर्नर और प्रदेश सरकार के अंदर संविधान की नही आरएसएस की आत्मा है: अखिलेश यादव

                                              फोटो: बबलू शर्मा 

पूर्व मुख्यमंत्रियों के सरकारी आवास ख़ाली करने के क्रम में लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ जिसे मीडिया कहा जाता है, ने देश के लोकतंत्र को शर्मसार कर दिया।

उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव सुप्रीम कोर्ट के फ़ैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री के हैसियत से मिले सरकारी आवास को तीन जून को ख़ाली कर दिया। उस दिन से ही मीडिया में ख़बरें चलने लगी कि अखिलेश यादव ने सरकारी बंगले को बुल्डोजर से तोडवा दिया।

जिस दिन अखिलेश यादव ने सरकारी आवास ख़ाली किया था उसके एक हफ़्ते बाद मतलब दस जून को सरकार ने मीडिया के लिये खोल दिया। मीडिया के चरित्र पर पहला सवाल तो यही उठता है कि आख़िर जब मीडिया एक हफ़्ते तक उनके घर में घूस नही पाई थी तो घर ख़ाली करने के दिन से ही मीडिया घर में तोड़ फोड़ की ख़बरें कैसे चलाने लगी?

क्या सरकार ने पहले से इस झूठी ख़बर के माध्यम से अखिलेश यादव को बदनाम करने की योजना बना रखी थी?

क्या योगी और आरएसएस उपचुनावों में हुई हार से अपना मांसिक संतुलन खो बैठे हैं?

पढ़िये अखिलेश यादव के प्रेस कांफ्रेंस का सार और समझने कि कोशिश कीजिये कि आज हमारा लोकतंत्र कैसे एक जातिवादी और मनुवादी संगठन के हाथों की कठपुतली बना हुआ है।

मीडिया द्वारा टोटी तोड़ने की झूठी खबर पर अखिलेश यादव ने कहा-

“टोटी निकालने का काम कोई अफिमची या गंजेडी करता है, जाके थानों में पता कीजिये कि इस तरह का काम कौन लोग करते हैं।

इसलिये पत्रकार साथियों पता करो की उस घर में आपके जाने से पहले कौन गया था? कोई अफिमची या गंजेडी तो नही गया था? आप सबको पता होगा की वहाँ मेरे जाने के बाद मुख्यमंत्री के ओएसडी अभिषेक और आईएएस मृत्युंजय नारायण इन्नोवा गाड़ी से गये थे। मुझे तो समझ नही आ रहा है कि आईएएस अधिकारी कब से ऐसा काम करने लगे?

सरकारें तो आती जाती रहती हैं, हो सकता है हमारी सरकार आये तो यही अधिकारी कही से चीलम ढूँढ कर ले आयें और कहें कि ये देखिये कोई अपना सरकारी घर छोडकर गया है उस घर में चीलम मिला।”

“भाजपा ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में लैपटॉप देने का वादा किया था लेकिन दिया नही।

हम अपने संसाधनो से लैपटॉप दे रहे हैं। एक लैपटॉप से ज़्यादा किमत नही है इस टोटी की और आप हमें टोटी के नाम पर बदनाम कर रहे हैं?”

“बिना जाँच के आप घर न तो घर ले सकते हैं न तो छोड़ सकते हैं, इसलिये मैं उस रिपोर्ट का इंतज़ार कर रहा हुँ जिसमें सरकार बताये कि क्या गायब हुआ है? ये टोटी तो बहुत छोटी चीज़ है।”

“रिर्पोट जल्द से जल्द दें तो मुझे भी पता चले कि क्या गायब है, एक एक सामान का हिसाब दे दूँगा लेकिन सरकार भी मेरा हर सामान वापस कर दे जो मैने मुख्यमंत्री आवास में लगा रखा है।”

“लेकिन ये कहो कि हम सरकारी व जनता के पैसे का मज़ाक़ करते हैं तो जाकर इतिहास उठाकर देख लो अगर जनता के लिये किसी ने हमसे ज़्यादा काम किया हो। अरे हम तो जनता को सुख सुविधा देने वाले लोग हैं।”

एकमात्र युवा पत्रकार सुमित यादव ने अखिलेश यादव के घर की सच्चाई दिखाई थी –

अखिलेश यादव ने सुमित को धन्यवाद देते हुए कहा की-

मैं धन्यवाद देता हुँ उस नौजवान पत्रकार सुमित कुमार का जिसने मेरे घर के एक एक कमरे में जाकर सच्चाई दिखाई, घर में मंदिर की फोटो देखकर कुछ लोगो को ज़्यादा जलन हुई होगी।

असल में लोग प्यार में अंधे नही होते है या होते होंगे लेकिन जलन में और ग़ुस्से में लोग कितने अंधे हो सकते हैं ये मैने देखा है।

मीडिया पर पैसे लेकर झूठी खबरे चलने का आरोप लगते हुए अखिलेश यादव ने कहा-

एक इंडिया न्यूज या इंडिया टीवी चैनल वाला ख़ुद से टूटी टोटी रखकर दिखा रहा कि वो मैने तोड़ी है।

बताओ तुम लोगो ने रखा था के नही रखा था। केवल चंद पैसों के चलते ये हरकत करोगे?

अरे अंधे लोगो मेरे घर में स्वीमिंग पूल दिख गया? मेरे घर में एक हज़ार बच्चे आये होंगे और बहुत से प्रतिष्ठित लोग आये हैं जाके हर एक बच्चे से पता लेना की उस घर में स्वीमिंग पूल कहाँ था? आप लोगो ने कह दिया कि मैने उस स्वीमिंग पूल में मिट्टी डाल दिया। अरे जाके गूगल मैप से भी पता कर लेना वहाँ कोई स्वीमिंग पूल नही था। मेरे घर के ऊपर से मुख्यमंत्री अपने पुष्पक विमान से जाते थे कही उनकी नज़र तो नही पड गई थी कि इस घर को साज़िशन ख़ाली कराना है? हम तो जानना चाहते है कि वो स्वीमिंग पूल कहाँ है? अगर आप लोगो को पता है तो ले चलिये मुझे अपने साथ।-

उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक के संघी चरित्र पर क्या कहा अखिलेश यादव ने?

और सोये लोग भी आज जाग गये चिट्ठी लिख दी। अरे रिश्वत के मामले में आपने चिठ्टी लिखी थी। मुख्यमंत्री के प्रमुख सचिव पर रिश्वत लेने का आरोप था। देखा पुलिस वालों ने क्या कमाल किया आरोप लगाने वालों को एक ही दिन में पागल क़रार दे दिया, कहा कि तुम्हारा दिमाग़ ठीक नही है.

मैं आजकल सरकारी गेस्ट हाउस में नही रूक रहा हुँ क्योंकि सुना है कि सफ़ेद रंग की कोई गोली आ गई है जिसमें स्मेल नही है हो सकता ये लोग मेरे खाने में मिला दें तो मैं क्या करूँगा? (इस बात पर सारे पत्रकार हँसने लगते है)

ये कोई मज़ाक़ की बात नही है क्योंकि इस सरकार और गवर्नर साहब के अंदर संविधान की आत्मा नही है, आरएसएस की आत्मा है।

अखिलेश यादव ने समाजवादी कार्यकर्ताओं  और नेताओं से की अपील:

अब हमारी और समाजवादी पार्टी के एक एक नेता और कार्यकर्ता की ज़िम्मेदारी है कि इस देश का अगला प्रधानमंत्री कौन बने? जिसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका समाजवादियों को निभानी है। 

अखिलेश यादव ने मीडिया और भाजपा द्वारा झूठी खबरे चलाकर अपमानित किये जाने पर कहा की- अपमान के बाद ही जागता है आदमी, एक बार राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का भी अपमान किया गया था ट्रेन में. 

 

 

 

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