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लोकतंत्र

 

आवो लोकतंत्र की महिमा आज तुम्हे हम बताते है।
ए बहुत पुराना इतिहास है जिसे फिर से हम दोहराते है।
70 सालो में इस देश ने बहुत से देखे होंगे वीर जवान को।
कितने आये कितने गए नमन किया इस हिंदुस्तान को।
आज भी वीसमील्ला खाँ की शहनाई इन्हीं वादियों में सुनाई देती है।
कलाम की क्रिति तो आज भी विदेशो में दिखाई देती है।
है गाथा इतिहास में इंदिरा की बलिदान की।
तुम क्या जानो पाखंडी मर्यादा हिंदुस्तान की।
भगवा रंग लाकर मत बदलो हिंदुस्तान को।
मत बाटो आपस से हिन्दू और मुसलमान को।
आजादी की लड़ाई में जो अपने चार लाल गवाये थे।
वो कैसी माँ थी जिसने कहाँ ये हिंदुस्तान के लिए तो आये थे।
और कितना गिरे इंसानियत को शर्मशार करोगे।
अपने मकसद के लिए कब तक हिंदुस्तान को बर्बाद करोगे।
कभी गँगा माँ कभी गाय माँ राममंदिर तो कभी हिंदुत्व तुम्हे याद आते है ।
वो क्यों भूल जाते हो सत्रर सालो वाला इतिहास जिसमे राम और रहमान दोनों आते है।
सत्ता की अभिमान तुम्हे इस प्रकार मगरूर बना देगी।
गिरोगे तो फिर ना संभल पावोगे ये जनता किसी और की सरकार बना देगी।
मत बाटो आपस के भाईचारे को।
मत दो आग ऐसे नारे को।
जिस गुजरात की तुम बात करते हो वो तो अहिंसावादी था।
अंग्रेजो को लोहा मना दिया वो तो ऐसा गाँधी था।
जिसके नाम नहीं वो काम बोला करते थे।
हर हिंदुस्तानी की जुबान बोला करते थे।
उनको भी मारने वाला तेरा ही भगवान बना।
यरे जुम्लेधारी तुमसे ना हिंदुस्तान बना।
ये इतिहास पुराना है जिसको तुम ना बदल पावोगे।
तुम क्या तेरे आने वाली पीढ़ी भी कुछ ना कर पावोगे।
बच्चा बच्चा बोले जय जवान जय किसान।
यही तो है मेरा प्यारा हिंदुस्तान।

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दीपू कुमार “मोहित”

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