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हम क्यों लिखते है ।

आधुनिक परिवेश को ध्यान में रखते हुए मुझे तो लगता है कि हिंदी को और सरल बनाने की आवश्यता है , जिससे अधिक से अधिक व्यक्ति हिंदी की ओर आकर्षित हो और हिंदी भाषा के विचारो, लेखों , कहानियो, ललित निबंधों ,व्यंगों इत्यादि अनेक विधाओं को पढ़ सकें। आज का समाज व परिवार आंग्ल भाषा पर अत्यधिक जोर दे रहा है और देना चाहता भी है ।मैंने देखा की आज जो व्यक्ति प्रेम चंद्र का उपन्यास पढ़ना चाहता भी है तो उसके आस पास के लोग उसका उपहास उड़ाते है और सलाह देते है कि उसे कोई अंग्रेजी उपन्यास पढ़ना चाहिए, जिससे उसे अधिक लाभ मिलेगा व जब समाज में वह इसकी चर्चा करेगा तो उसे ज्यादा शिक्षित समझा जायेगा ।हिंदी कोई सामान्य भाषा तो है नही यह तो संस्कृत भाषा से उत्तपन्न हुई है। इसलिए क्लिष्ट शब्दो को समझने व् उच्चारण करने में आज की पीढ़ी को समस्या होती है इसलिए वे हिंदी के प्रति उदासीन व्यवहार दिखाते है व् उपेक्षा की दृष्टि से देखते है । इसलिए हिंदी को सरल बनाने की आवश्यकता है क्योंकि एक बार हिंदी की ओर रुझान बढ़ा तो फिर वो दिन दूर नही की सभी हिंदी की महत्ता को समझने लगेंगे । पर एक पहल तो होनी चाहिए।

मयंक अग्निहोत्री

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