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भारत के युवाओं के लिए कैसा रहा मोदी सरकार के 5 साल का कार्यकाल

साल 2014 की मई में सूर्य के प्रचंड कोप का शिकार भारत हो रहा था। तपती दिल्ली की सियासत तल्ख और तेज़ हो चुकी थी। भारत के पुरातन काल की राजनीति से देश के युवाओं का मन ऊब चुका था। युवा अपनी पूरी सामर्थ्य के साथ एक ऐसे व्यक्ति को सत्तासीन करने जा रहा था जिसने राजनीति की अपार संभावनाओं को जनता के आगे प्रस्तुत किया था। प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी नरेंद्र दामोदरदास मोदी पारंपरिक राजनीति से अलग हटकर एक ऐसी राजनीति की स्थापना करने का संकल्प ले चुके थे कि युवा भारत के राजनीतिक धमनियों में ऊर्जा का अद्भुत रक्त संचालित हो रहा था।

बीते 10 बरस के शासनकाल में घोटालों की लंबी फेहरिस्त ने युवाओं के राजनीतिक विचार को निराश कर दिया था। अंतराष्ट्रीय पटल पर भारत की निराशाजनक छवि के कारण युवाओं के भीतर हीन भावना जाग चुकी थी। रोज़गार की घोर कमी और शिक्षा की गुणवत्ताहीन स्तर ने युवाओं के भीतर की तमाम ऊर्जाओं को नष्ट कर चुका था। युवाओं की उम्मीदों के उन्मादों ने प्रचंड बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाया, जिसके ज़रिये युवा भारत के युवाओं की सारी परेशानियों का अंत हो सके। चुनावी सरगर्मियों में युवाओं के ज़ुबान से हर-हर मोदी, घर-घर मोदी के अल्फाज़ निकल रहे थे।

प्रधानमंत्री बनते ही प्रधानमंत्री मोदी ने निर्णय लिया कि उनके मंत्रिमंडल में 70 बरस से कम उम्र के लोग ही मंत्री बनेंगे। प्रधानमंत्री मोदी के इस निर्णय के ज़रिए युवाओं में संदेश गया कि युवा भारत के कल्पना की यह पहली हकीकत है। प्रधानमंत्री एक के बाद एक ऐसे फैसले लेते गए जिससे युवाओं में प्रधानमंत्री के युवा होने का एहसास बना रहा।

28 सितंबर 2014 को प्रधानमंत्री मोदी पहली बार अमेरिका के दौरे पर गए जहां न्यूयॉर्क स्थित मेडिसन स्क्वॉयर में उन्हें भारतीय नागरिकों और एनआरआई को संबोधित किया। प्रधानमंत्री मोदी ने लोगों को संबोधित करते हुए बताया कि भारत की सबसे बड़ी ताकत युवा शक्ति है। भारत विश्व का सबसे युवा देश है। भारत के नागरिकों को हताश होने को ज़रूरत नहीं है भारत बहुत तेज़ी से तरक्की के पथ पर आगे जाएगा और उसका एकमात्र कारण होगा भारत के युवाओं की योग्यता।

प्रधानमंत्री ने युवाओं की बातें करके भारत के काल्पनिक गौरव का अभिमान राष्ट्रीय से लेकर अंतरष्ट्रीय लोगों तक जगाया और बदले में प्रधानमंत्री खूब तालियां भी हासिल की। देश के विकास में युवाओं की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए प्रधानमंत्री मोदी योजना आयोग को रद्द कर नीति आयोग का गठन किया, जो 1 जनवरी 2015 से भारत में सक्रिय हो जाता है।

उसके बाद युवाओं को रोज़गार देने के लिए युवाओं के कौशल को विकसित करने के नाम पर ‘स्किल इंडिया’ नाम से योजना 15 जुलाई 2015 से प्रारंभ किया जाता है। इस योजना के तहत प्रधानमंत्री मोदी का लक्ष्य था 2022 तक 40 करोड़ लोगों के कौशल को विकसित कर रोज़गार देने का। ऐसे और भी प्रधानमंत्री मोदी के कई भाषणों और संबोधनों में युवाओं के हितों और उज्ज्वल भविष्य का ज़िक्र मिलता है।

लेकिन बीते 5 बरस में युवाओं के गौरवगान और युवा भारत के महिमामंडन के बाद भारत के युवाओं को असल मायनों में हासिल क्या हुआ। क्योंकि बात यदि रोज़गार और किसान की करें तो भारतीय जनता पार्टी के घोषणा पत्र से शुरू करते हैं जिसे प्रधानमंत्री मोदी ने संकल्प पत्र भी कहा था। भाजपा के घोषणा पत्र के अनुसार हर साल 2 करोड़ युवाओं को रोजगार देने बात कही गयी थी।

नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार: Getty Images

भारत में बेरोजगारी दर बढ़ने के अनुमान पर वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक रिपोर्ट में अन्तर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने अपनी नवीनतम ‘वर्ल्ड एम्प्लॉयमेंट एंड सोशल आउटलुक’ रिपोर्ट में वर्ष 2017 तथा 2018 में भारत में बेरोजगारी दर 3.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया गया। वर्ष 2017 में देश में बेरोज़गारों की संख्या 17.8 मिलियन की बजाय 18.3 मिलियन तक रहने का अनुमान व्यक्त किया गया था।

वर्ष 2018 में अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन के अनुमान के मुताबिक बेरोज़गारों की संख्या 18.6 मिलियन रहने का अनुमान है, जबकि पहले इसी रिपोर्ट में बेरोज़गारों की संख्या 18 मिलियन रहने का अनुमान लगाया गया था। प्रतिशत के संदर्भ में ILO ने सभी तीन वर्षों 2017, 2018 और 2019 के लिये भारत में बेरोज़गारी दर 3.5% पर स्थिर रहने का अनुमान लगाया है। एशिया पैसिफिक क्षेत्र में 2017 से 2019 के दौरान 23 मिलियन नई नौकरियां सृजित होंगी और भारत सहित अन्य दक्षिण एशियाई देशों में नए रोज़गार सृजित होंगे किंतु पूरे क्षेत्र में बेरोज़गारों की संख्या बढ़ेगी।

देश के युवा केवल रोज़गार के भरोसे ही नहीं निराश नहीं हो रहे बल्कि देश के और भी आंकड़े हैं जिसने युवाओं के तमाम कल्पनाओं को कल्पना ही बने रहने दिया। 2017-18 में विकास दर घटकर 6.7% रह गई। यह मोदी सरकार के पांच सालों में सबसे कम वृद्धि दर है। पिछले वित्त वर्ष 2017-18 का हिसाब देखने पर स्थितियां विकट है। कृषि क्षेत्र में 2017 में वृद्धि दर 6.3% रहा था, यह 2018 में गिरकर 3.4% रह गया है। मैन्युफैक्चरिंग में 9.2% की दर घट कर 7.2% पर आ गयी है।

खनन में तो व्यापक गिरावट दर्ज की गई है, खनन क्षेत्र में वृद्धि दर घटकर सिर्फ 2.8% रह गयी है। सकल फिक्स्ड पूंजी निर्माण 10.1% से घटकर 7.6% पर आ गयी। लोक प्रशासन में भी 0.7% की गिरावट रही है।

तो देश के भीतर युवाओं की चिंताओं को देखते हुए देश के ज़हन में यह सवाल आना लाज़मी है कि बीते 5 बरस में युवा भारत के युवाओं को कितनी नौकरियां मिली। युवा भारत के युवाओं का विकास दर क्यों 2014 के उम्मीदों और दावों के विपरीत खड़ी है। क्योंकि युवाओं ने इसी सरकार और प्रधानमंत्री के खिलाफ सड़क पर उतरकर आवाज़ भी बुलंद की है।

हैदराबाद विश्वविद्यालय के रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या का आरोप सरकार पर लगाकर छात्रों ने राष्ट्रीय आंदोलन किया हो। अथवा जेएनयू में देश विरोधी नारों के लगने के आरोप पर छात्रों का आंदोलन रहा हो। फिर देश में जब युवा ही सत्ता से नाखुश हो और वजह भी सिर्फ नौकरी की कमी ही नहीं रही हो तो युवा भारत के प्रधानमंत्री युवाओं के सपनों को कैसे साकार करेंगे?

नरेन्द्र मोदी। फोटो साभार: Getty Images

हालांकि प्रधानमंत्री और उनके मंत्रियों ने फिटनेस चैलेंज के ज़रिए युवाओं को साधने की कोशिश की है तो सवाल यही है कि 15 दिनों से अधिक एसएससी परीक्षा के युवा परीक्षार्थी अनशन और आंदोलन के ज़रिए सरकार के नाक के नीचे एसएससी परीक्षा में भ्रष्टाचार की जांच की मांग करते रहे लेकिन प्रधानमंत्री ने यहां युवा भारत के युवा नागरिकों के आंदोलन पर सुध लेना भी लोकतांत्रिक जबाबदेही के अनुरूप उचित नहीं समझा।

फोटो- फेसबुक पेज Narendra Modi

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