पीरियड एक सामान्य सी प्रक्रिया है पर हमारे भारतीय समाज में इससे एक बीमारी की तरह ट्रीट किया जाता है। पीरियड को अशुद्ध माना जाता है। जिन महिलाओं को पीरियड होते हैं हमारा समाज न उनके साथ सही व्यवहार करता है और न ही उनके साथ जिन्हें पीरियड नहीं होते। आज हम अपने समाज के लोगों की सोच और व्यवहार की बात न कर के पीरियड से जुड़े कुछ मिथ और उनसे जुड़े सच के बारे में जानेंगे ताकि खुद और खुद से जुड़ी महिलाओं और टीनएज बच्चियों की मदद कर सके और उन्हें सही-गलत का फर्क बता कर पीरियड्स के डर से आज़ाद कराने की ओर एक कदम बढ़ा सकें।
पीरियड्स से जुड़े कुछ मिथ और सच :
1. मिथ : पीरियड के दौरान अचार छूने से अचार खराब हो जाता है : सबसे साधारण मिथ।
सच : अचार सिर्फ पानी से भीगे हाथ से छूने से खराब होते हैं।
2. मिथ : पीरियड के वक्त कपड़ों में दाग (stain) लगने का मतलब है पीरियड्स खुल कर आ रहा है।
सच : दाग लगने मतलब है आपने पैड सही से नहीं पहना है या फिर पैड पूरा गीला हो चुका है और उससे चेंज करने की जरुरत है।
3. मिथ : पीरियड के पहले बहुत ज़्यादा खट्टी और ठंडी चीज़े खाने से पेट दर्द होता है।
सच : प्रीमेन्सट्रूअल सिंड्रोम यानी PMS की वजह से महिलाओं में फूड क्रेविंग होना नॉर्मल है।
4. मिथ : पीरियड में निकलने वाला खून गंदा होता है।
सच : नसों में बहने वाले खून से अलग होता है पर पीरियड के दौरान निकलने वाला खून ‘नॉर्मल’ ही होता है | वेजाइना से निकलने वाले इस खून में वेजाइना के टिश्यू, सेल्स, और एस्ट्रोजन हॉर्मोन के कारण बच्चेदानी में खून और प्रोटीन की बनी परत के टुकड़े होते हैं। ये सारी चीज़ें पीरियड के पहले बच्चेदानी में जमा होती हैं और पीरियड के खून के रूप में शरीर से बाहर निकल जाती है क्यूंकि शरीर को इनकी ज़रूरत नहीं होती।
5. मिथ : पीरियड पूरे एक हफ्ते चलना ही चाहिए।
सच : एस्ट्रोजन एक प्रकार का हॉर्मोन होता है जो आपके शरीर की चीज़ों को कंट्रोल करता है, जैसे की शरीर के बाल, आवाज़, सेक्स करने की इच्छा वगैरह। इसी एस्ट्रोजन के कारण, हर महीने बच्चेदानी में खून और प्रोटीन की एक परत बनती है। शरीर में एस्ट्रोजन हॉर्मोन की मात्रा के हिसाब से खून और प्रोटीन की मोटी या पतली परत बनती है, अगर परत मोटी है तो पीरियड में खून ज़्यादा बहता है, अगर पतली है तो कम और इसी पर डिपेंड करता है कि पीरियड साइकिल एक हफ्ते का होगा या उस से कम।
6. मिथ : पीरियड के दौरान सेक्स से पार्टनर को इन्फेक्शन हो जाता है।
सच : पीरियड के रूप में शरीर से वो खून बाहर निकलता है जिसकी शरीर को ज़रुरत नहीं होती और इस से किसी तरह का इन्फेक्शन नहीं होता। लेकिन अगर किसी भी पार्टनर को किसी भी तरह का सेक्सशुअल ट्रांसमिटेड इन्फेक्शन जैसे HIV है तो यह पीरियड सेक्स के दौरान ज्यादा तेज़ी से एक से दूसरे में ट्रांसफर हो जाते हैं क्यूंकि पीरियड में गर्भाशय ग्रीवा यानी cervix ज़्यादा खुला होता है।
7 . मिथ : औरतें पीरियड्स के दौरान प्रेगनेंट नहीं हो सकतीं।
सच : ये पूरी तरह सच नहीं है। सेक्स के दौरान अगर स्पर्म वजाइना के अंदर रह जाये, तो वो सात दिनों तक जिंदा रहते हैं यानी अगले सात दिनों तक प्रेगनेंसी के चान्सेज़ होते हैं। इसलिए पीरियड के दौरान भी कंडोम का इस्तेमाल करना ज़रूरी है।
8. मिथ : पीरियड सेक्स हार्मफुल और पेनफुल होता है।
सच : एक सर्वे के अनुसार 30% सेक्शुअली एक्टिव लोग पीरियड सेक्स करते हैं और बहुत सी महिलाएं पीरियड के दौरान ज़्यादा कामोत्तेजना यानी arousal महसूस करती हैं। सही तरह से किया गया पीरियड सेक्स बहुत ही आसान और एन्जॉयबल होता है। ऑर्गैज़्म से निकलने वाले एंडोर्फिन हॉर्मोन्स से पीरियड में होने वाले पेट दर्द और प्रीमेन्सट्रूअल सिंड्रोम (PMS) जैसे : सिरदर्द , तनाव से राहत भी दिलाता है।
नोट : पीरियड सेक्स एक पर्सनल चॉइस है, ज़रुरी नहीं की हर महिला पीरियड सेक्स करना चाहे या इसे एन्जॉय करे।
पीरियड के वक्त हर महिला की ज़रूरत और तकलीफ अलग-अलग होती है जैसे कि सामान्य रूप में हर इंसान की पसंद नापसंद अलग होती है बिल्कुल वैसे ही। पीरियड एक सामान्य प्राकृतिक प्रक्रिया है कोई रॉकेट साइंस नहीं जिसे समझना मुश्किल हो। समझें और साथ निभाएं।