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मोदी सरकार के विकास के वादों पर भोजपुरी कविता: “विकास के रफ्तार”

आजादी के बीतला कुछ साल हो गईल।।
सबके जिन्दगी अब बेहाल हो गईल।।

कपड़ा लाता महंगा भईल महंगा भईल तरकारी।।
बिना घूस के ना मिलत बा अब नौकरी सरकारी।।

पढ़-लिख के नौजवान भईल बाड़े बेरोजगार।।
लमहर-लमहर सपना देखवले रहे ई सरकार।।

कवन कवन नु ई योजना चलावस।।
गरीब जनता के ई खुब भरमावस।।

बीत गईल कुछ अउर बा बाकी।।
एकरा बाद इनपर केहु ना झाकी।।

बढ़ा सोच समझ के ई बात सबके बतावतानी।।
एही बा लाचार जनता अउर बेरोजगार नौजवानन के कहानी।।

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