आजादी के बीतला कुछ साल हो गईल।।
सबके जिन्दगी अब बेहाल हो गईल।।
कपड़ा लाता महंगा भईल महंगा भईल तरकारी।।
बिना घूस के ना मिलत बा अब नौकरी सरकारी।।
पढ़-लिख के नौजवान भईल बाड़े बेरोजगार।।
लमहर-लमहर सपना देखवले रहे ई सरकार।।
कवन कवन नु ई योजना चलावस।।
गरीब जनता के ई खुब भरमावस।।
बीत गईल कुछ अउर बा बाकी।।
एकरा बाद इनपर केहु ना झाकी।।
बढ़ा सोच समझ के ई बात सबके बतावतानी।।
एही बा लाचार जनता अउर बेरोजगार नौजवानन के कहानी।।