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फिल्म में स्वरा के मास्टरबेशन करने पर इतना भड़क क्यों गया हमारा समाज

अपनी बात शुरू करने से पहले मैं ये क्लियर कर दूं कि मैं ना ही फिल्म का रिव्यू लिख रही हूं, ना ही फिल्म के कंटेट के बारे में कुछ बता रही और ना ही फिल्म के सपोर्ट या विरोध में कोई बात करने जा रही हूं।

बल्कि मैं बात कर रही हूं फिल्म के एक सीन को लेकर स्वरा भास्कर को ट्रोल किए जाने पर। आपने अगर फिल्म देखी होगी तो आप उस सीन से वाकिफ होंगे और अगर नहीं देखी तो मैं आपको उसके बारे में बताती हूं।

दरअसल, स्वरा भास्कर फिल्म के एक सीन में मास्टरबेशन करती नज़र आती हैं। उनका पति उन्हें मास्टरबेशन करते हुए देख लेता है, लेकिन वो सैटिस्फैक्शन मिले बिना रूकती नहीं हैं और अपने पति के सामने भी मास्टरबेशन जारी रखती हैं। ऑर्गैज़म के एहसास के बाद जब वो अपने बेड से उठती हैं तो बगल में चादर के नीचे वाइब्रेटर (DilDo) भी नज़र आता है, जिसे फिल्म में ब्लर करके दिया गया है।

बस, बवाल यहीं पर शुरू हो गया। आखिर कोई हीरोइन वो भी फेमिनिज़म की बातें करने वाली हीरोइन फिल्म में इस तरह मास्टरबेशन कैसे कर सकती हैं? ये पूर्ण रूप से लोगों को अपनी सभ्यता के खिलाफ नज़र आने लगा। इन ट्रोलर्स में वे लोग भी शामिल हैं, जिन्होंने फिल्म में महिला विरोधी गालियों पर अपनी आपत्ति जताई है।

अगर आप एक तरफ फिल्म में महिला विरोधी गालियों का विरोध कर रहे हैं और दूसरी तरफ मास्टरबेशन वाले सीन पर भी कमेंट कर रहें, तो आप दोगले हैं। क्योंकि फिर आप महिला को इज्ज़त की एक टोकरी के रूप में ही देखना चाहते हैं, लेकिन जब वही महिला, सेक्स जैसे मुद्दे पर खुलकर बात करे तो उसे पचा नहीं पाते।

फिल्म में महिला विरोधी गालियों से आपत्ति मुझे भी है। लेकिन, महिला विरोधी गालियों के विरोध और मास्टरबेशन वाले सीन पर विरोध में काफी अंतर है।

महिला विरोधी गालियों के विरोध का मतलब आप महिला सम्मान के लिए अपना विरोध जता रहे हैं, लेकिन फिल्म के सीन में एक स्त्री द्वारा मास्टरबेशन के विरोध का मतलब, आप महिला को तथाकथित संस्कारों में कैद रखने की मानसिकता से ग्रसित हैं।

दरअसल, ये बहस फिल्म के सपोर्ट या विरोध की नहीं है, बल्कि उस मानसिकता के विरोध की है जो स्त्रियों को तथाकथित सभ्य नारी के चोले में कैद रखना चाहती है। बेशक, आप स्वरा के विरोध में लिखिए, उनकी एक्टिंग पर बात कीजिए, फिल्म के कंटेट के बारे में बात कीजिए। लेकिन, फिल्म में मास्टरबेशन करने की घटना पर बवाल करना बचकाना लगता है। आप इसपर बात कीजिए कि स्वरा ने अपने उस सीन को ठीक से निभाया या नहीं। लेकिन, आप उस बहस तक पहुंचेंगे भी कैसे, आपके लिए तो वो सीन आपके संस्कार के खिलाफ था।

कुछ लोग कह रहें, “फिर तो हर जगह मास्टरबेशन करते फिरो, और जब मास्टबेशन सही है तो फिर पब्लिक प्लेस में पुरुषों को मास्टरबेशन करते देख महिलाएं क्यों भड़क जाती हैं ?” ये कौन सा फेमिनिज़म है ?” तो उन लोगों को ये भी क्लियर कर दूं कि फिल्म में स्वरा जिस कैरेक्टर को प्ले कर रही हैं वो कैरेक्टर अपने बेडरूम में मास्टरबेशन करती है ना कि किसी पब्लिक प्लेस में। दोनों में बहुत फर्क है।

शायद यही सीन अगर किसी पुरुष पर दर्शाया गया होता तो आपको गुस्सा नहीं आता, आपकी भौंहे नहीं तनती। क्योंकि पुरुषों के लिए मास्टरबेशन करना सामान्य बात है लेकिन जब वही एक महिला करे तो वो चरित्रहीन।

हमने सेक्स जैसे मसले को कभी सामान्य होने ही नहीं दिया। इस फिल्म में बार-बार औरतों के सैटीस्फैक्शन पर बात की गई है, आप शायद उससे भी असहमत होंगे। क्योंकि औरतों का सैटीस्फैक्शन ज़ाहिर करने का कोई हक ही नहीं समझा जाता है। ऑर्गैज़म का सुख तो सिर्फ पुरुषों को पाने का अधिकार है।

हमारे समाज में अगर खुलकर सेक्स पर बाते हो, तो लोगों की औरतों के सैटिस्फैक्श के बारे में भी समझ विकसित होगी और मास्टरबेशन की ज़रूरत पर भी। और इस समझ के विकसित होने पर फिल्म में स्वरा की कैरेक्टर जिस मानसिक परिस्थिति में मास्टरबेशन करती हैं, शायद आप उसे भी समझ सकें। जिससे हमारे समाज की कई औरतें गुज़रती हैं।

स्वरा, फिल्म देखकर मैं तुम्हारी एक्टिंग से थोड़ी निराश ज़रूर हुई हूं, क्योंकि मुझे तुमसे हमेशा कुछ ज़्यादा की उम्मीद रही है। साथ ही तुम्हारे मुंह से फिल्म में महिला विरोधी गालियां सुनना भी अच्छा नहीं लगा। लेकिन, तुम एक एक्ट्रेस हो, और तुम्हें शायद अपने कैरेक्टर को निभाने के लिए ये ज़रूरी रहा होगा। और, एक एक्ट्रेस से इस तरह की सहमती और असहमती तो होना सामान्य बात है। शायद तुम अपनी अगली फिल्म में और कमाल कर जाओ।

लेकिन, तुम्हारे जिस सीन पर लोग तुम्हें ट्रोल कर रहे हैं, उसके लिए मैं तुम्हारे साथ खड़ी हूं, और मेरी जैसी वो तमाम औरतें साथ खड़ी हैं जिन्हें इस तथाकथित संस्कारी समाज से नफरत है। जिसे नफरत है उस समाज से जो खुलकर सेक्स पर औरतों के बात करने से कतराता है। तुम बस इसी तरह अपना बोल्ड अवतार लोगों को दिखाते रहो। क्योंकि हम औरतों का बोल्ड होना बहुत ज़रूरी है।

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