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शर्म है कि आज भी लड़कियों को मैट्रिमोनियल साइट्स पर लिखना पड़ रहा है कि दहेज वालों दूर रहो

ज़िंदगी में कई बार कुछ चीज़ों से पहली बार पाला पड़ता है या यूं कह लें कि कुछ चीज़ों की तरफ हमारा ध्यान तब तक नहीं जाता, जब तक हमें उसकी ज़रूरत महसूस नहीं होती। ऐसी ही एक चीज़ है मैट्रिमोनियल वेबसाइट। घर में काफी बार इस बारे में बातें सुनी है कि फलना लड़की की या फलना लड़के की प्रोफाइल देखो। मम्मी-पापा और अभी तक परिवार के सारे बड़े लोगों की शादी किसी ना किसी इंसानी मीडिएटर ने कराई थी पर अभी उन इंसानी मीडिएटर्स को फुर्सत नहीं रही या शायद इंट्रेस्ट नहीं रहा।

अब लोग मैट्रिमोनियल वेबसाइट रूपी मीडिएटर की मदद से अपने बच्चों की शादी के लिए खुद ही अप्रोच करते हैं। आजकल ज़्यादातर फैमिली में तो शादी को लेकर भी कॉम्पीटीशन हो रखा है और ये सबसे बड़ी वजह है मीडिएटर प्रजाति के लगभग विलुप्त हो जाने की।

फिलहाल कुछ महीनों से कुछ मैट्रिमोनियल वेबसाइट के दर्शन करने का चांस मिल रहा है। लड़कियों की प्रोफाइल देखी जा रही है और इस दौरान एक बात पर अचानक से ध्यान अटका कि कुछ-एक इंडिपेंडेंट लड़कियों की प्रोफाइल जो वो खुद हैंडल करती हैं उनमें ये बात ख़ास तरीके से मेंशन की गयी है कि जो परिवार दहेज लेने की चाहत रखते हैं वो कृप्या कर के काँटैक्ट ना करें ” according to indian law dowry seeking is a crime” मतलब काँटैक्ट ना करें इसकी ठोस वजह भी लड़कियों को मेंशन करनी पड़ी है।

जबकि किसी भी लड़के की प्रोफाइल में ऐसी कोई बात मेंशन की हुई नहीं दिखी।

दरअसल हमारे देश में दहेज को लेकर हालात इतने बुरे हैं कि अगर कोई लड़का ऐसी अच्छी सोच रखता है और अपनी प्रोफाइल में मेंशन भी कर दे तो लड़कियों को शक हो जाता है। लड़की और उसके घर वाले सोचने लग जाते हैं कि लड़के को कोई फिजिकल, मेन्टल, फाइनैंशियल, फैमिली रिलेटेड प्रॉब्लम तो नहीं? तभी ऐसा मेंशन किया है वगैरह-वगैरह। और सबसे बड़ी बात ये निकल कर आती है कि लड़के की कुंडली में ज़रूर कोई दोष होगा क्यूंकि भारतीय समाज में आज भी कुंडली मिलान, बाकी सब बातों से थोड़ा ज़्यादा मायने रखती है और इसका सबसे यादगार उदाहरण बॉलीवुड कलाकार ऐश्वर्या राय और अभिषेक बच्चन की शादी है।

लड़कियों को अपनी मैट्रिमोनियल वेबसाइट प्रोफाइल में दहेज लेने वालों से ऐसी अपील क्यों करनी पड़ी इस बात पर डिस्कशन करने की ज़रूरत नहीं है क्यूंकि वजह हमें अच्छे से पता है। नैशनल क्राइम ब्यूरो के 2015 के डाटा रिकॉर्ड के अनुसार इस समय तक हमारे देश में दहेज से जुड़े पूरे 3.4 लाख मामले दर्ज हैं जिनमें महिलाओं को दहेज के लिए पति या फिर ससुराल के लोगों द्वारा प्रताड़ित किया गया। The Indian Express में पब्लिश न्यूज़ में देश की महिला और बाल विकास मंत्री श्रीमती मेनका गाँधी ने लोकसभा में एक लिखित ज़वाब में कहा है कि Indian Penal Code यानी भारतीय दंड संहिता (दहेज हत्या) के सेक्शन 304B के अन्तर्गत 2012 में 8,233, 2013 में 8,083 और 2014 में 8,455 मामले दर किये गए।

ऊपर जो डाटा है वो अभी से 4 साल पुराना और असलियत से काफी दूर एक छोटा सा नमूना भर है।

अब एक नज़र डालते हैं दहेज विरोधी कानून पर जो लागू हुआ था 20 मई 1961 में ही। यह एक्ट राज्य जम्मू और कश्मीर को छोड़कर पूरे भारत में समान तरीके से लागू होता है। दहेज निषेध अधिनियम यानी Dowry prohibition Act, 1961 (Act no.28 of 1961) के तहत इस एक्ट को 1984 ,1986 के तौर पर संशोधित (Revised) किया गया जिसके अनुसार दहेज का मतलब है :-

सीधे या गुप्त तरीके से कोई भी प्रॉपर्टी या कीमती सिक्योरिटी देना या देने का वादा/ एग्रीमेंट करना दहेज कहलाता है।

दहेज तीन तरह से दिया और लिया जाता है :-
1. लड़की वालों के द्वारा लड़के वालों को, या
2. लड़की या लड़के के अभिभावकों (Guardian) द्वारा, या
3. लड़की पक्ष के किसी व्यक्ति के द्वारा किसी अन्य व्यक्ति को

इस तरह दहेज लेन -देन से जुड़े तीन फेज़ होते हैं-
1. विवाह से पूर्व (Before wedding)
2. विवाह के अवसर पर (At wedding)
3. विवाह के बाद (After wedding)

दहेज एक्ट से रिलेटेड जानकारी देना बिल्कुल वैसी ही बात है जैसी आज की तारीख में देश के प्रधानमन्त्री और अलग-अलग राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा दहेज विरोधी कैंपेन चलाना। सालों से हम सब जानते हैं कि दहेज लेना और देना कानूनी अपराध है, फिर भी हमारे देश में लड़कियों और उनके घरवालों को खास तौर पर ये कहना या कहीं पे लिखना पड़ रहा है कि दहेज लेना कानूनन अपराध है और दहेज लेने की सोच और चाह रखने वाले लोग कृप्या दूर रहें।

इनसब में समाज ने दहेज लेने-देने के कुछ नए तरीके निकाल लिए हैं। अब अकसर लड़के वाले ये कहते हैं कि हमें कुछ नहीं चाहिए आपको जो देना है अपनी बेटी को दीजिए – “ये बात हुई कान को सीधे हाथ से न पकड़कर उल्टे हाथ से पकड़ना”

और आजकल तो लड़की वाले बेबस होकर ये भी कहते हैं कि कानून के हिसाब से बेटियों का भी हिस्सा बनता है माता पिता की प्रॉपर्टी में तो हम जो दे रहे हैं वो बेटियों का हिस्सा ही है – “दिल बहलाने को गालिब ये खयाल भी अच्छा है”

मतलब ये कि जितने चाहो दहेज विरोधी अभियान चला लो समाज को पता है कैसे करते हैं चित्त भी मेरी और पट भी मेरा।

औपचारिकता के लिए दहेज एक्ट से जुड़ी और ज्यादा जानकारी के लिए इस लिंक पर जा सकते हैं। यह लिंक विकासपीडिया का है जोकि भारत सरकार का ऑनलाइन इन्फॉर्मेशन पोर्टल है।

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