Site icon Youth Ki Awaaz

5 साल बाद लापता बेटे के पाकिस्तान जेल में कैद होने की मिली खबर, नहीं मिल रहा न्याय

जुगराज भील राजस्थान के बूंदी ज़िले के एक छोटे से गांव रामपुरिया-जाखमुंड का रहने वाला है, जो आज पाकिस्तान की कराची जेल में कैद है। जिसकी स्वदेश वापसी की मांग को लेकर उसके बुज़ुर्ग माता-पिता दर-दर की ठोकरे खा रहे हैं। करीब पांच वर्ष पहले साल 2013 में जुगराज जोधपुर बाबा रामदेवरा जी के मेले में जाने का कहकर घर से निकला था, वो आखिरी दिन था जब उसके माता-पिता ने उसे देखा था, क्योंकि जुगराज उसके बाद कभी लौटकर नहीं आया।

पांच साल से थाने में जुगराज की गुमशुदगी की रिपोर्ट तो दर्ज है, लेकिन उसके माता-पिता को ये भी नहीं पता था कि उनका बेटा कहां है? किस हाल में है? जीवित है भी या नहीं? इन्हीं सभी सवालों को अपने भीतर दबाए भेरूलाल और पानाबाई पांच साल से घुट-घुट कर जी रहे थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि एक दिन थाने से ऐसा बुलावा आएगा, जो उनके बेटे के जीवित होने की पुष्टि तो करेगा, लेकिन साथ ही साथ परेशानियों को और बढ़ा देगा।

थाने से खबर आयी कि उनका बेटा पाकिस्तान के कराची की जेल में कैद है। पता करने पर मालूम हुआ कि वो पाकिस्तान की ट्रेन में बिना टिकट और वीसा के सफर करता हुआ पकड़ा गया था, जिसके बाद कोर्ट ने उसे दो साल की सज़ा सुनाई थी।

जुगराज की सज़ा की अवधि समाप्त हो चुकी है, लेकिन अभी भी उसकी रिहाई नहीं हो पायी है, वो आज भी पराये मुल्क में सज़ा काट रहा है। जोधपुर मेले में घूमने गया जुगराज पाकिस्तान कैसे पहुंचा? ये कोई नहीं जनता। लेकिन उसकी तलाशी में दर-दर ठोकरे खाते हुए गरीब माता-पिता को बुढ़ापे में अपना खेत बेचने पर विवश होना पड़ा, लेकिन अभी तक ना न्याय मिला और ना बेटा वापस लौट कर आया। हैरानी की बात तो ये है कि अभी तक कोई आश्वासन भी बुज़ुर्ग दम्पति को नहीं मिला है, जिसने उनकी नींद उड़ा रखी है।

सरकार से नहीं मिली मदद तो विपक्ष का खटखटाया दरवाज़ा 

जुगराज एक बहुत ही गरीब परिवार से है, जिसके माता-पिता ना तो पढ़े-लिखे हैं और ना ही उन्हें कोर्ट-कचहरी या थाना-तहसील की कार्यवाही की कोई समझ है। ऐसे में जब सरकार और प्रशासन से कोई मदद नहीं मिल रही थी तो उन्होंने विपक्ष का दरवाज़ा खटखटाया। हाल ही में राजस्थान प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट हाड़ौती क्षेत्र के दौरे पर थे, जहां कार्यकर्त्ता चर्मेश शर्मा ने इस बुज़ुर्ग दम्पति की मुलाकात उनसे करवाई। अपनी वेदना सुनाते हुए बुज़ुर्ग दम्पति भावुक होकर रो पड़े, ऐसे में पायलट ने मामले को समझते हुए कहा कि वे अपनी ओर से जो भी हो सकेगा मदद करने का प्रयास करेंगे।

इधर कॉंग्रेस के कार्यकर्ताओं की मदद से बुज़ुर्ग दम्पति ने पहले तो कलेक्ट्रेट पर प्रदर्शन कर ज्ञापन सौंपा और साथ ही साथ ‘जन गण मन’ अभियान चलाया गया, जिसके चलते जुगराज की घरवापसी की गुहार लगाते हुए 5000 पोस्टकार्ड विदेश-मंत्री के नाम विदेश मंत्रालय में भेजे गए।

कहां हुई लापरवाही? 

प्रदेश युथ कॉंग्रेस के महासचिव चर्मेश शर्मा जो शुरू से ही इस मामले में बुज़ुर्ग दम्पति की मदद करते आये हैं, उन्होंने बताया कि इस मामले में सरकार की बहुत बड़ी लापरवाही सामने आयी है। पाकिस्तान विदेश मंत्रालय के अनुसार भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जुगराज की ‘नेशनल आइडेंटिटी’ प्रोसेस की औपचारिकता पूरी नहीं की गयी है, जिसके चलते उसे अभी तक वहां से रिहा नहीं किया गया।

हैरान करने वाली बात ये है कि एक भारतीय नागरिक सीमा पार करके बिना पासपोर्ट और वीसा के पाकिस्तान पहुंच जाता है, जिसकी सालों तक किसी को खबर नहीं मिलती। सवाल ये उठता है कि आखिर जुगराज के नेशनल आइडेंटिटी का प्रोसीजर अभी तक क्यों लटका हुआ है? क्यों मामले को अभी तक गंभीरता से नहीं लिया गया? यदि विपक्ष के आरोप और मीडिया रिपोर्ट्स की माने तो सरकार और प्रशासन दोनों से लापरवाही हुई है। लेकिन हमारा सिस्टम ही कुछ ऐसा बन गया है कि किसी भी मामले की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करने के लिए मीडिया और विपक्ष को दखल देना ही पड़ता है। ऐसे में अब ज़रूरत है मामले को गंभीरता से लेकर और राजनीति से ऊपर उठकर जल्द से जल्द कार्यवाही की जाये, क्योंकि एक गरीब बेटे के असहाय बुज़ुर्ग माता-पिता उसकी राह देख रहे हैं।

Exit mobile version