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“रमन सिंह जी आप लोकतंत्र की खाल ओढ़े तानाशाह की तरह दिखने लगे हैं”

आपके मंत्री राजेश मूणत की सीडी के मामले में पूछताछ के बाद रिंकू खनूजा की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। टीवी चैनलों ने जिस तरह की तस्वीरें दिखाईं उससे लगता है कि आपकी पुलिस ने रिंकू खनूजा की मौत की जांच में लापरवाही बरती या शायद जानबूझकर लापरवाही बरती गई। क्या आपकी पुलिस फिर कुछ लीपापोती कर रही है? क्या हत्या को आत्महत्या बताने के लिए लीपापोती की जा रही है?

ठीक वैसी लीपापोती जैसी कि झीरम कांड की जांच में आपकी सरकार और केंद्र की भाजपा सरकार ने की, प्रियदर्शिनी बैंक घोटाले पर की और जैसी लीपापोती अंतागढ़ उपचुनाव में लोकतंत्र के चीरहरण के मामले में की।

लेकिन इस समय सवाल आपकी पुलिस की लीपापोती और अपराधियों को बचाने की आपकी मंशा से बड़ा है रमन सिंह जी। इस बार सवाल यह खड़ा हुआ है कि आपके राज में कोई है जो सुरक्षित बचा है?

राजेश मूणत की सीडी के मामले में रिंकी खनूजा की भूमिका से परे उसकी मौत ने एक नागरिक की सुरक्षा के बड़े सवाल खड़े किए हैं। कानून की सज़ा से परे भी हर नागरिक को सुरक्षा की गारंटी देना राज्यों की ज़िम्मेदारी होती है लेकिन आपके राज में न रिंकू खनूजा सुरक्षित है और न सतीश नौरंगे जैसा एक आम आदमी जो बिजली मांगता है तो आपकी पुलिस उसे थाने में बुलाकर पीट-पीटकर मार डालती है।

आपके सुरक्षा बलों के बारे में तो जितना कहा जाए कम है। वह कभी मीना खल्को का बलात्कार कर उसकी हत्या कर देती है और उसे नक्सली ठहरा देती है, कभी मड़कम हिड़मे को फर्ज़ी मुठभेड़ में मार दिया जाता है। मीना खल्को और मड़कम हिड़मे के मामले तो सामने आ गए, लेकिन उन 27000 महिलाओं का क्या जो आपके राज में लापता हुईं और जिनका आज तक पता नहीं चला। कितनी शर्मनाक बात है कि बस्तर की बेटियों को हाईकोर्ट की शरण लेकर कहना पड़ता है कि हमें सुरक्षा बलों से बचाइए।

नक्सली हिंसा के नाम पर आपकी पुलिस ने आतंक का राज कायम कर लिया है। कभी सोनकू और बिजलू जैसे छात्रों को नक्सली बताकर मार दिया जाता है और नक्सली मुठभेड़ बताकर आपकी पुलिस इनाम ले जाती है। आपने जिन्हें सुरक्षा का जिम्मा दिया है रमन सिंह जी, वे आदिवासी महिलाओं का यौन शोषण करते हैं, आदिवासियों के घर जलाते हैं और सवाल उठाए जाने पर नेताओं के पुतले जलाते हैं।

सच तो यह है रमन सिंह जी कि आपने शासन और प्रशासन को आतंक पैदा करने वाली मशीनरी में बदल दिया है। राजनीतिक विरोध अपनी जगह है लेकिन राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ जिस तरह से फर्ज़ी मामले दर्ज किए जा रहे हैं और जिस तरह से उन्हें झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है, वह इतिहास में आपके 15 साल के शासनकाल के साथ हमेशा के लिए दर्ज रहेगा। चाहे वह मिच्चा मुथैया का मामला हो या मलकीत सिंह गैदू का।

आपके आतंक राज में तो पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता तक सुरक्षित महसूस नहीं कर रहे हैं रमन सिंह जी। ये आपने छत्तीसगढ़ के साथ क्या कर दिया? जनता ने आपको ऐसा प्रदेश तो नहीं सौंपा था? आप तो लोकतंत्र की खाल ओढ़े तानाशाह की तरह दिखने लगे हैं।

छत्तीसगढ़ इस भय और आतंक में जीने का आदी नहीं है। वह आपके आतंक से कांप रहा है। और इस डर का जवाब वह इस बार अपनी ताकत से देगा। बस चंद महीने और।

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