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दृष्टिबाधित होने की वजह से रेडियो में नहीं मिली नौकरी तो शुरू किया अपना ऑनलाइन रेडियो

अपनी अक्षमताओं को कौन नहीं कोसता है। लेकिन कुछ बिरले ही होते हैं जो उन कमियों और अक्षमताओं को अपनी ताकत बनाकर अपनी काबिलियत को सिद्ध कर पाते हैं। कोई ऐसी-वैसी कमियां नहीं बल्कि शारीरिक अक्षमताएं। यह कहानी है साहेब शर्मा की, जिन्होंने रेडियो BongOnet की शुरुआत की और उसके रेडियो जॉकी भी बने। जी हां कोलकाता शहर में स्थित यह ऑनलाइन रेडियो स्टेशन साहेब द्वारा चलाया जाता है जो लोगों की रूचि और उनके जुनून के विषयों से जुड़ी बातें करते हैं। आज साहेब एक ऐसे मुकाम पर पहुंच चुके हैं कि समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण स्वरुप हैं। इनकी प्रेरक कहानी जानने के लिए देखें यह जोश Talk ।

अब आप कहेंगे कि एक इंटरनेट रेडियो स्टेशन ही तो है कौन सी बड़ी बात है। लेकिन साहेब के लिए यह एक बेहद चुनौती पूर्ण कार्य था क्योंकि वे देख नहीं सकते सिर्फ सुन सकते हैं और बोल सकते हैं। लेकिन साहेब का जुनून, साउंड और रेडियो के लिए उन्हें रोक नहीं पाया आज उनके रेडियो स्टेशन की ऑडियंस ग्लोबल स्तर पर है। साहेब बताते हैं कि उन्हें अपने स्कूल और कॉलेज की पढ़ाई के दौरान बहुत कठिनाई होती थी, इसलिए उन्होंने रिकॉर्डेड लेसन्स से पढ़ना शुरू किया। उनकी ज़िन्दगी में मनोरंजन का केवल एक ही ज़रिया होता था रेडियो, इसलिए उन्हें हमेशा से ही रेडियो जॉकी बनने का बहुत शौक था। कोई उनकी अक्षमताओं के कारण उन्हें नौकरी देता या नहीं इसके चलते उन्होंने अपना ही ऑनलाइन रेडियो चलाना शुरू कर दिया।

बेशक उन्हें रेडियो स्टेशन शुरू करने में बहुत सी दिक्कते आईं, बहुत मुश्किले भी थीं। लेकिन उन्होंने शुरुआत की और आज सफल हैं। एक समय था जब उनकी अक्षमताओं के कारण, यानी उनके दिव्यांग होने के कारण लोग उन्हें रेडियो जॉकी बनने का मौका नहीं देते थे और आज वही इंसान स्वयं दूसरों को नौकरियां देता है। साहेब की कहानी इस बात का उदाहरण है कि जीवन में कितनी ही कमियां क्यों न हों, लोग आपको मौका दें या न दें, यदि आपकी लगन सच्ची होगी तो आप कैसे ना कैसे करके अपना सपना खुद पूरा कर ही लेंगे।

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