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गैर पंजीकृत बालगृहों से बच्चों की आतंकी गतिविधियों के लिए हो रही है तस्करी

देश में किशोर न्याय (संशोधित) कानून को लागू हुए भले ही ढाई साल हो गए हों, लेकिन सरकार बाल संरक्षण को लेकर ढाई साल बाद भी गंभीर नहीं हुई है। राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के ताज़ा आकड़ों के अनुसार देशभर में कुल 5880 बालगृह हैं, जिनमें से 1339 बालगृह ऐसे हैं जिनका पंचीकरण नहीं हुआ है।

इनमें 1100 से अधिक बालगृह देश के सबसे ज़्यादा शिक्षित राज्य केरल के हैं, जिनका पंचीकरण नहीं हुआ है। देशभर में बालगृहों की स्थापना इसलिए हुई ताकि अनाथों और घर से भागे बच्चों की परवरिश की जा सके। लेकिन, बालगृहों का पंचीकरण ना होना कई सवाल खड़े करने के साथ ही बच्चों को लेकर सरकार की नीतियों पर भी सवाल उठाता है।

कई ऐसे मामले हैं जिसने पता चलता है कि गैर-पंजीकृत बालगृहों के माध्यम से देश में बच्चों की खरीद-फरोख्त होती है। देश में कई ऐसे गिरोह काम कर रहें जो इन बच्चों को खरीद कर देश विरोधी काम करा रहे हैं।

हाल ही में झारखंड में सक्रिय आतंकियों से संबद्ध संस्था प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट अॉफ इंडिया (पीएफआई) प्रभावित क्षेत्रों से बड़ी संख्या में बच्चों की तस्करी का मामला सामने आया है। इन बच्चों को अच्छी शिक्षा और भोजन के नाम पर झारखंड से दक्षिण भारत के राज्यों में ले जाया जाता है।

जिन राज्यों में इन बच्चों को ले जाया जाता है वहां पर पूर्व आंतकी संगठन स्टूडेंट इस्लामिक संगठन मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) और पॉपुलर फंड अॉफ इंडिया (पीएफआई) की गहरी पैठ रही है। अगर देश में इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, तो सरकार को इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए तत्पर रहना चाहिए, ताकि बच्चों का भविष्य भी सुरक्षित रहे और देश विरोधी ताकतें भी अपनी मंसूबों में कामयाब ना हो सके।

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