पर यहां लोगों को इस बात से तो फुरसत मिले के मंदसौर और कथुआ में कोन बोला कोन चुप था कोन हिन्दू था कौन मुसलमान था हर बार जब रेप की कोई घटना आती थी तो मै लिखतीं थी चिल्लाती थी इस स्माज की समझ और दकिया नूसी सोच पर घीन आ गई रोज़ फिर एक नई ख़बर आ जाती और मैंने इस समाज से अपेक्षा करना ही छोड़ दिया बताओ क्या फायदा जाने कितनी बच्चियों के निजी अंगों में किसी ने रॉड घुसाई तो किसी बच्ची की आते ही काटना पड़ी एक उंगली कत जाती है तो दर्द होता है ना ज़रा सोचो और शर्म करो । ये समाज मर चुका है और इसका ज़मीर भी रेप तो रोज़ ही होते हैं न तुम्हे इससे क्या? वो कौन सी तुम्हारी बहेन बेटियां थीं?लो एक और 4 साल की निर्भया है! मगर इस खोखले समाज को क्या? उसे बस उंगली उठाना आता है तो लड़कियों पर अब किसे दोष दोगे 4 साल की बच्ची के कपड़ों को? अरे मगर तुमसे तो कुछ कहेना ही बेकार है तुम बस इस्पे ही लड़ो के रेप करने वाला हिन्दू था या मुसलमान जिसका रेप हुआ वो तुम्हारे मज़हब की थी या गैर मज़हब की उसका नाम सीता था या फातिमा क्युंके तभी तुम आवाज़ उठाओगे नहीं तो चुप बैठोगे । शर्म आती है या बेच खाई है एक बच्ची के साथ रेप हुआ है रेप का मतलब समझते हो उसके जिस्म को कुछ भूके शैतानों ने नोचा होगा उसके कपड़ों को फाड़ा होगा उसे मारा होगा उसके निजी अंगो में ज़बरदस्ती रॉड डाला होगा उसके जिस्म को नहीं आत्मा को मारा होगा अपनी बच्ची को देखो,बहेन को देखो सोचो कल उनके साथ भी ऐसा कुछ हो सकता है। रेप क्या होता है ये न हम लिख सकते है ना उस दर्द को समझा सकते है, न ही तुम समझ पाओगे। पर हा ज़िन्दगी भर वो मासूमों के जिस्म के घाव भले ही भर जाए मगर अंतर आत्मा छलनी हो जाती है उसके घाव कभी नहीं भरते । तुम जिस भी खुदा पर भरोसा रखते हो मगर तुम्हारी इंसानियत आज इतनी मर गई है के तुम मज़हब के नाम पर अंधे हो गए हो । करते रहो हिन्दू की बेटी मुसलमान की बेटी मगर यहां बेटियां रोज़ सरेआम दुष्कर्म का शिकार हो रही है तुम खेलो अपना ब्लेम गेम और मेरा और हर लड़की का आज ये वादा है के हम अब इस संगीन अपराध को नहीं सहेंगे रेप करने वाला राम हो या रहीम उसको सिर्फ एक सज़ा दी जाए वो है मौत मेरा बस हो तो उनके निजी आंग ही काट के सरे आम उन्हें गोली मार दे ताके किसी और की हिम्मत ही ना पड़े । रेप जैसा संघीन अपराध हमारे देश में कितना कॉमन हो गया है तुम्हे लगता है होता है तो होए कौन सा वो मेरी बेटी थी कौन मेरे ज़ात की थी या देश की? तुम्हारी ब्ला से । मगर आज वो नहीं है कल हो सकती है तुम्हारी बेटी ज़रा देखो उसकी मासूम आंखो को और सोचो भगवान ना करे कल उसके साथ भी ऐसा हुआ मर जाओगे ना जीते जी सोचो उन लड़कियों का जो बेकसूर ये झेल रही हैं जीते जी मार डाला है रेप करने वाले ने बस लड़की देखी हिन्दू की बेटी है या मुसलमान की ये नहीं देखा ।कृपया इस अंधकार से बाहर आए और इंसान बने फिर बने हिन्दू या मुसलमान ।।। रही बात समाधान की तो बच्चियों के साथ ऐसा करने वालों को मौत से भी बत्तर सज़ा मिले