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क्या एएमयू में लडकियों की आजादी खतरे में हैं

आज के एक महीने बाद  स्वतंत्रता दिवस इसीलिए  इस पर बहस करना बहुत जरूरी है कि  जो सपना हमारे आजादी के नायकों ने देखा था वो क्या आज  पूरा हो गया  क्या आधी आबादी आज  आजाद है ?  नही  जब मैं अपनी दोस्तों के साथ हो रहे भेदभाव को देखता हूं तो यही लगता है  आजादी केवल  पुरुषों को मिली है   हमारी बहन मांओं को नही और सबसे ज्यादा शर्म  की बात तो ये है कि  ऐसे भेदभाव का ट्रनग  एएमयू जैसी  यूनिवर्सिटी में दी जाती है  हैं   आप लडकी हो नजर नीची करके चलो

और यहां का सबसे फेमस डायलॉग  ये है कि एएमयू डीयू  जेएनयू नही बन सकता  अगर यहां रहना है तो हमारे नियमित कायदे मानने पडेंंगे   नही क्या एएमयू  भारत का हिस्सा नही है ? या ये मदरसा है यहां पर जब कोई लडकी  एडमिशन लेती हैं तो शुरू से उसे केवल  यही सिखाया जाता है अगर बुर्का पहनोेंगी तो कोई नही छेडेेेगा   हास्टल से कम से कम निकलो  और एक और बात हास्टल  में  लडकियां रात के 12 बजे के बाद  अपने हास्टल में भी नही घूम सकती अगर  बिजली चली जाए तो भी मरो गर्मी में रूम में लेकिन रूम से बाहर मत निकलो अगर  लडकों के हास्टलों का डीएनए किया जाए तो  वहां लडकों के लिए कोई पाबंदी नही हैं चाहें पूरी रात ढाबे पर  बैठकर लडकियों को घूरतो रहो कोई नोटिस नही मिलेगा , जब मन करे हास्टल में आओ या जाओ या कुछ भी करें कोई पाबंदी नही यहां पर जब कोई लडकी ऐसी घटिया सोच के खिलाफ आवाज उठाती है तो उसको  चरित्रहीन होने का सर्टिफिकेट  पकडा दिया जाता है इससे भी नही मन  भरता तो सोशल मीडिया पर ट्रोल किया जाता है  इसका सबसे बडा उदाहरण वीमेेंस कालेेेेज की पूर्व  प्रेेेसिडेंट नवा नसीम का है  जिसको सोशल मीडिया पर चमन के बुलबुलों ने इसलिए  ट्रोल किया था  उसके करैक्टर पर सवाल उठाए थे क्योंकि उसने ऐसे भेदभाव वाले नियम कायदों पर सवाल उठाए थे

अब मैं जाते जाते  और एएमयू का स्टूडेंट होने के नाते यही कहना चाहूंगा कि कभी भी अपने को कमजोर इसलिए मत  समझो क्योंकि आप लडकी हो लडो  अन्याय से  चाहें सामने कोई भी हो अगर आप आजाद भारत में भी गुलाम बनकर रह रही हो  तो  ये उन सभी  आजादी की वीरांगनाओं  का अपमान  है जिन्होने  तुम्हारी आजादी के लिए अपनी जान दे दी थी  इसलिए  मेरी  सखियो उठो जागो और तहजीबों   की उन बेडियों को  तोड डालो जो तुमको  आजाद भारत में भी  गुलाम बनाती हैं

 

 

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