कोटा के विद्यार्थी ने यह सोच तोड़ दी है कि IIT और मेडिकल कॉलेज में संपन्न छात्र ही एडमिशन ले सकते हैं। NEET और AIIMS का रिज़ल्ट आने के बाद ऐसे कई बच्चे सामने आए हैं, जिनकी आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। इसके बावजूद उन्होंने एग्ज़ाम क्रैक करके अच्छी रैंक हासिल की। इसमें ऐसे बच्चे भी हैं, जिनके गांव में प्राइमरी स्कूल तक नहीं था लेकिन, कोटा आने के बाद उन्होंने मेहनत से पढ़ाई की और अब अपने सपनों को पूरा करने के नज़दीक पहुंच गए हैं। ऐसी ही कहानी है भरत राम मीणा की। सुनिए उनकी कहानी उन्हीं की ज़ुबानी।
मेरा नाम भारत राम मीणा है। मैं बूंदी ज़िले के इन्द्रगढ़ तहसील के झीडा गांव का रहने वाला हूं। मेरे पिता का नाम हेमराज और मां का नाम फोरी बाई है। मेरे मां, पापा और बहन तीनों ही अनपढ़ हैं। एक भाई है जिसने स्नातक किया है। घर की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। पापा खदान में पथर तोड़ते हैं, मां मनरेगा में मज़दूरी करती हैं और बहन जानवरों (गाय भैंस) को चराती हैं।
हमारे रहने के लिये केवल एक कच्चा घर है, जिसमें बिजली की सुविधा भी नहीं है, इसलिये मैं रात को पढ़ाई नहीं कर पाता था। पापा ने मेरी पढ़ाई के लिए 2 किलो का गैस सिलेंडर खरीदा, जिससे मैं रात में 2-3 घंटे पढ़ाई करने लगा। मैं घर वालों की खेती के काम में भी मदद करता था, जैसे-फसल को पानी देना, कटाई करवाना व फसल निकलवाना। इन सबके साथ ही मैं पढ़ाई भी करता था।
बिना कोचिंग के मैंने दसवीं 80% मार्क्स के साथ पास किया। इसके लिए मुझे राज्य सरकार की ओर से लैपटॉप भी मिला। कठोर परिश्रम करने से मम्मी की तबियत खराब रहने लगी, जिससे हर महीने उन्हें डॉक्टर को दिखाना पड़ता था। इसलिये मैंने डाॅक्टर बनने का सोचा आौर 11वीं में बायोलॉजी विषय में पढ़ाई शुरू कर दी।
घर पर मैं स्कूल के अलावा 3-4 घंटे पढ़ता था, जिससे ग्यारहवीं में 70% मार्क्स आए। फिर 12th में PCB की कोचिंग करना चाहता था मगर, कोचिंग के लिए पैसे नहीं होने से घर में ही पढ़ाई की। जिससे मैंने कक्षा 12वीं में 90% मार्क्स के साथ इन्द्रगढ़ तहसील में पहला स्थान प्राप्त किया। अब मैं आगे NEET की तैयारी करना चाहता था, पर घर वालों के पास इतने पैसे नहीं थे तो मैंने B.SC के लिये कोटा गर्वमेंट काॅलेज में फॉर्म भर दिया तथा BSTC की परीक्षा भी दी जिसमें मुझे 70% मार्क्स आए।
हमारे स्कूल के शिक्षक ने मुझे मोशन के Motion Open Scholarship Test (MOST) के बारे में बताया। तो मैंने MOS का एग्ज़ाम दिया जिसमें मुझे 70% अंक आए। इससे मेरी फीस में 50% की स्कॉलरशिप मिली। जिसके बाद पापा ने गांव के एक साहूकार से 2% सैंकड़ा के हिसाब से 50 हज़ार रूपये ऊधार लेकर मुझे कोचिंग करने कोटा भेज दिया।
मैं हर रविवार टेस्ट सीरिज़ देने जाता था, जिसमें मेरी क्लास रैंक 2, 3, 4, 5, 8, 10, 15, 20 तक रहती थी। मेरे पापा खान पर पत्थर तोड़कर हर महीने 2500 रूपए भेजा करते थे। जिसमें से मैं 1800 रूम का किराया देता था और बाकी 700 रू से खर्चा चलता था। फिर मैंने अप्रैल में KTTTEE-2018 का बायो टेक्नोलॉजी का एग्ज़ाम दिया, जिसमें मुझे AIR-1st प्राप्त हुई। जिससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा। फिर मैंने NEET का एग्ज़ाम दिया, जिसमें मेरे फिज़िक्स के 25 सवाल छूट गये। फिर भी मेरी पहली प्रयास में ही मुझे NEET में AIR 334 प्राप्त हुआ।
फिर मैं AIIMS की तैयारी में जुट गया। मेरा AIIMS का पेपर NEET से अच्छा हुआ, जिसमें मैंने 45 सवाल किये। जिससे AIIMS में पहली प्रयास में ही मुझे AIR-64 (SC) आया। अब मुझे डाॅक्टरी की पढ़ाई के लिये एक अच्छा कॉलेज मिल जायेगा। मैं डाॅक्टर बनकर गरीबों की सेवा करना चाहता हूं। मैं इन्द्रगढ़ व नैनवा तहसील का पहला विद्यार्थी हूं, जिसका एम्स में सेलेक्शन हुआ है। इसका श्रेय मैं मां पापा व मोशन एजुकेशन फैकल्टीज़ को देता हूं। कोटा में मोशन एजुकेशन जैसे कई कोचिंग इंस्टीट्यूट मेधवी छात्रों को स्कॉलरशिप देते हैं।