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ताजुशरिया हुए दुनिया से रुखसत, अल्लाह उनके दरजात को बुलन्द फरमाएं : मौहम्मद यूनुस कादरी

ताजुशरिया ने शुक्रवार शाम सवा सात बजे पर्दा फरमाया था। वह आला हजरत के परपोते और मुफ्ती आजम हिंद मुस्तफा रजा खां के जानशीन थे। अपने इल्म की बदौलत परचम-ए-आला हजरत को बुलंदी पर ले गए। मुफ्ती आजम हिंद की तरह ही अपने दीनी काम और किरदार से दुनियाभर में मुरीदों के दिल पर राज किया। चाहने वालों के बीच उनकादीदार सम्मान का सबब माना जाता था।
यही वजह रही जब ताजुशरिया ने पर्दा फरमाया तो भीड़ सबकुछ भूलकर आखिरी दीदार के लिए दौड़ पड़ी। शनिवार को सुबह ताजुशरिया का जनाजा नमाज के लिए दरगाह आला हजरत स्थित आवास से इस्लामिया की तरफ ले जाया जाने लगा। गलियों से लेकर बाहर चौड़ी सड़क तक भीड़ इस कदर थी कि जनाजा निकालने के लिए पुलिस के साथ दरगाह के लोगों को भारी मशक्कत करना पड़ गई। जैसे-जैसे जनाजा इस्लामिया इंटर कॉलेज मैदान की तरफ बढ़ता रहा ताजुशरिया के आखिरी सफर में हिस्सा लेने वालों की तादाद में भी इजाफा होता चला गया।
 
शहर में उनके मुरीदों के आने का सिलसिला शुक्रवार रात से ही शुरू हो गया था। जैसे ही ताजुशरिया के निधन की खबर फैली, लोग उनके आखिरी दीदार के लिए मुहल्ला सौदागरान स्थित दरगाह आला हजरत पहुंचने लगे। पहले दिन ही इतनी भीड़ हो गई कि व्यवस्था बनाने के लिए वहां पुलिस व्यवस्था कराना पड़ी। पहले रास्तों पर वाहनों की आवाजाही रोकी गई। उससे भी व्यवस्था नहीं बनी तो आखिरी दीदार करने वालों की लाइन लगवा दी गई। इस सबके बावजूद न जाने कितने ऐसे लोग होंगे, जो ताजुशरिया के आखिरी दीदार नहीं कर सके।
 
वह लाइन में ही लगे रह गए। वे अफसोस भी जाहिर करते दिखे। चूंकि, काफी लोग विदेश से भी आने थे, इसलिए सुपुर्द-ए-खाक का वक्त एक दिन बाद का तय किया गया। नमाजे जनाजा के लिए इस्लामिया मैदान का चयन हुआ। यह वही जगह है, जहां आला हजरत का उर्स होता है। शनिवार को जब चारों तरफ से लोग आने शुरू हुए तो लोग कहते सुने गए कि यह तादात आला हजरत के उर्स से ज्यादा है।
 
दिल्ली के हौजरानी के मदरसा गुलश्न इस्लाम से जुडे व ताजुशरिया मुफ्ती अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां के मुरीद मौहम्मद यूनुस कादरी कहते हैं कि उनका हमारे बीच से चले जाना बहुत बडा नुकसान है अल्लाह पाक उनके दरजात को बुलन्द फरमाएं, और हमारे सबके प्यारे आका हुजूर सल्लललाहो अलेही वसल्लम के सदके तुफैल हम गुलामों को अपने फैजान से फैजियाब फरमांए
 
ताजुशरिया मुफ्ती अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां के इंतकाल के बाद रविवार की रात विकिपीडिया अपडेट हो गया है। अजहरी मियां के इंतकाल की तारीख 20 जुलाई 2018 दर्ज कर दी गई है। इंतकाल के तीन दिन तक देश-विदेश के लाखों लोगों ने वीकीपीडिया पर अजहरी मियां की शख्सियत जानने के लिए इसे खंगाला।
 
दरअसल, अजहरी मियां की शख्सियत का एक छोटा सा अक्स विकिपीडिया पर भी दर्ज है। बरेली के कम ही लोग जानते थे कि वह दुनिया की 500 मुस्लिम शख्सियतों में 22वें पायदान पर थे। बहरहाल, उनके इंतकाल के बाद सोशल साइट्स पर सुन्नी मुसलमानों ने गम जाहिर किया। फेसबुक, ट्विटर, यू-ट्यूब से लेकर वाट्स-एप तक रंजो-गम के संदेश तैरते रहे। जनाजे में शामिल भीड़ के फोटो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए। यूजर्स खिराजे अकीदत पेश करते रहे।
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