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पहाड़ों के आगे जहां और भी हैं!!!

गाँव – पटना
दूरी – ऋषिकेश से 8 किमी जिसमे 2किमी की पहाड़ी पगडंडी जो हर कदम खतरे का अहसास देती है, शामिल हैंl

ऋषिकेश जाये और पटना वॉटर फॉल ना जाये ऎसा हो ही नही सकता लेकिन पटना गाँव झरने से 1 किमी और ऊपर है. जैसे ही आप वहां पहुंचेंगे आपको एक अलग दुनिया का आह्सास होगा. न तनाव, न शोरगुल, चारो तरफ पंछियों का संगीत और प्रकृति के साथ गाँव वालों के चेहरे पर मुस्कान आपकी सारी थकावट दूर कर देंगे.
पत्थर के घरों और उनमें रहने वाले लोगों की सुंदर साइटें पूरी तरह से एक अलग अनुभव है। आप गांव की महिलाओं को गेहूं और खेतों में काम कर देखेंगे, जबकि छोटे बच्चे अपने पालतू जानवरों के साथ खेलते हैं। पुरुष ज्यादातर काम पर जाते हैं और शाम को शहर से लौटते हैं। गांव में एक छोटा सा स्कूल भी है जहां बच्चे अध्ययन करने जाते हैं। ये लोग अपने घर उगाए सब्जियों को खाते हैं और एक प्राकृतिक चूला (मिट्टी के स्टोव) पर खाना पकाते हैं।
गाँव में मुख्य समस्या हस्पताल की है, यदि कोई भी व्यक्ति बीमार पड़ता है तो उसे पहले चारपाई के माध्यम से पहाड़ी से नीचे ले जाना पड़ता है उसके बाद ऋषिकेश ले जाना पड़ता है. बारिश के दिनो में यह समस्या और भी बढ़ जाती है. चूँकि यह गाँव पहाड़ी पर स्थित है इसलिए मुख्य सड़क से जोड़ना फिलहाल सम्भव नही है!
ये लोग एकान्त, शहर के जीवन से पूरी तरह से अलग हैं और न्यूनतम संसाधनों के साथ रहते हैं, वे जो भी मिला है उससे पूरी तरह से संतुष्ट हैं और अपने साधारण जीवन का आनंद लेते हैं। और उन्हे ना तो सरकार और ना ही किसी संस्था से कोई शिकायत है!
यदि आपको शांति और एकांत पसंद करता है, तो यह जगह आपके लिये है। आप केवल पक्षियों के शांतिपूर्ण संगीत, पेड़ के माध्यम से हवा की आवाज़ सुनेंगे और कोई भी चिंता के बिना शांतिपूर्ण प्रकृति में आराम कर सकते है।

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