आजकल देश मे विरोध करने के नए नए तरीके ईजाद हो गए हैं। किसी को सरकार से विरोध है किसी को विपक्ष से। किसी को मीडिया से विरोध है तो किसी को फ़िल्म से। किसी को मोदी से विरोध है तो किसी को राहुल से। मतलब ये की हर कोई विरोध विरोध के खेल में मशगूल है। विरोध करने के सबके अपने अपने तरीके भी हैं, कोई भक्त बोलकर विरोध जता रहा है तो कोई पप्पू बोलकर। विरोध की हवा है अभी। अभी बिहार में एक महिला मंत्री ने अपने पति पर लगे आरोप के जवाब में एक जाती का हीं विरोध कर दिया, विरोध के इस जमाने में मुझे सबसे बुरा विरोध लगा ये। किसी दल का विरोध करते करते अगर आप सार्वजनिक रूप से किसी जाती का नाम लेकर उसे गुंडा बदमाश कहते हैं वो भी एक मंत्रि होकर तो ये विरोध तो बिल्कुल नहीं हो सकता। और मेरे खयाल से ऐसे मंत्री को कुर्सी पर बैठने का कोई अधिकार नहीं। विरोध भी मर्यादा ढूंढता है। अभी के राजनीतिक वीरोधकाल में मुझे अटल जी याद आ रहे हैं। अपने संयमित शब्द बान से सत्ता पक्ष को चित करने वाले अटल जी से आज के नेताओं को सीखना चाहिए।।