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“अप्रोच के बिना नहीं होता ट्रांसफर”, BJP के एक और मंत्री का विवादित बयान

ट्रांसफर की फरियाद लेकर जनसुनवाई के लिए पहुंची अध्यापिका के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह का निंदनीय बर्ताव अभी लोगों के ज़हन में ताज़ा ही था कि ट्रांसफर पर भाजपा के एक और मंत्री का विवादित बयान सामने आया है। दरअसल, राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री कालीचरण सर्राफ का एक वीडियो सामने आया है, जिसमें ट्रांसफर की परिवेदना देने वालों को वो नसीहत देते हुए नज़र आ रहे हैं। शराफ के इस वीडियो ने राजस्थान के राजनैतिक गलियारों में हड़कंप मचा दी है।

वीडियो में स्वास्थ्य मंत्री परिवेदना देने आये व्यक्ति को बोल रहे हैं,

जिन लोगों की कोई अप्रोच नहीं होती, सबसे पहले उन्हीं के तबादले कर दिए जाते हैं। कमज़ोर कड़ी वालों को सबसे पहले हटाया जाता है।

इस वीडियो के वायरल होने पर लोगों में खासा आक्रोश है। साथ ही साथ विपक्ष ने भी शराफ के इस गैर ज़िम्मेदाराना बयान पर उनको घेरते हुए उनकी आलोचना करनी शुरू कर दी है। राजस्थान प्रदेश कॉंग्रेस कमेटी की उपाध्यक्ष एवं मीडिया-चेयरपर्सन डॉ. अर्चना शर्मा का कहना है,

मंत्री जी के ब्यान के अनुसार, भाजपा सरकार में अब उन्हीं लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी जिनके पास या तो अप्रोच हो या फिर रिश्वत देने के लिए पैसे। जिनके पास ना पैसा है और ना अप्रोच, भाजपा सरकार के राज में उन्हें निराश ही लौटना होगा। जन सुनवाई के नाम पर भाजपा सरकार के ढोंग की पोल अब खुल गयी है।

गौरतलब है कि ये पहला मौका नहीं है जब राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री को विवादों ने घेरा हो, इससे पूर्व उनका एक फोटो वायरल हुआ था, जिसमें वो सड़क के किनारे खुले में पेशाब करते नज़र आ रहे थे, जिसके बाद सोशल-मीडिया पर उन्हें स्वच्छ-भारत अभियान में उनके योगदान पर चुटकी लेते हुए खूब ट्रोल किया गया था।

आश्चर्य की बात तो ये है कि ज़िम्मेदार पद पर बैठे लोगों का इस तरह का बर्ताव ना सिर्फ निंदनीय है बल्कि जनता के लिए एक सबक भी है कि वे अपने मतदान के अधिकार का सोच समझकर ही प्रयोग करें। मंत्री जी की ‘कमज़ोर को और कमज़ोर’ करने एवं अप्रोच वालों को प्राथमिकता देने वाली सोच ये साबित करती है कि भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने वाली भाजपा सरकार अभी अंतर-युद्ध पर भी विजय नहीं पा सकी है। हकीकत ये है कि भ्रष्टाचार ने हमारे देश में जड़े इतनी मज़बूती से गाड़ रखी है कि उसे भाषणों से नियंत्रित नहीं किया जा सकता, उसके लिए बदलाव की पहल की ज़रूरत है, जिसकी शुरुआत खुद से होनी चाहिए।

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