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आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में निशाना किसी मुल्क या मज़हब को ना बनाये

Hundreds gathered near Al-Furqan Jame Masjid mosque in New York to protest against the murder of Imam Maulama Akonjee and his assistant, Thara Uddin, 64, outside the mosque.

2018 की शुरुआत से ही जम्मू-कश्मीर में हो रहे लगातार आतंकवादी आक्रमणों के बाद पाकिस्तान को संदिगध लिस्ट (ग्रे लिस्ट) वाले देशों की सूची में डाल दिया गया है और वजह है पाकिस्तान का आतंकवादियों को पनाह देना, उन्हें बढ़ावा देना। यह भारत का काफी देर से लिया गया सही फैसला है। दुनिया के हर देश को आतंकवाद को बढ़ावा देने वाले हर देश से परेशानी है और अब ऐसे कठोर कदम उठाये जा रहे हैं जिससे आतंकवादी संगठनों को पनाह देने वाले देश आर्थिक रूप से कमज़ोर पड़ें और उन्हें हर हाल में आतंकवाद को खत्म करने के लिए बाकी देशों की मदद करनी ही पड़े।

पाकिस्तान के लिए हमारे देश के नागरिकों की नफरत छुपी नहीं है, नफरत इतनी कि कई लोग हिंदुस्तानी मुसलमानों को भी पाकिस्तानी कह देते हैं। बड़ी आसानी से कह देते हैं कि तुम पाकिस्तान जाओ। हर आतंकवादी हमलों के बाद उन्हें कठघरे में खड़ा किया जाता है मानो ये हमारा शौक बन गया है और उनकी मजबूरी।

गुरमेहर कौर याद है आपको जिसने अपने वीडियो में ये कहा था कि “मेरे पिता को पाकिस्तान ने नहीं युद्ध ने मारा था।” यकीनन बवाल हुआ और इस कदर हुआ कि उस लड़की को सोशल मीडिया पर आम से लेकर खास लोगों ने अपने-अपने तरीके से ट्रोल किया। शांति और युद्ध विराम के लिए की गयी उसकी अपील में लोगों को सिर्फ इतना समझ आया कि एक भारतीय शहीद सैनिक की बेटी पाकिस्तान को गुनाहगार मानने से इंकार कर रही है और लोग टूट पड़े उसपर, मानो वो लड़की ही पाकिस्तान हो और सब का एक ही मकसद, उसे खत्म करना।

हम भारतीयों को ये समझना होगा कि हमें पाकिस्तान की आवाम से नहीं आतंकवाद से नफरत करनी है। हमें नफरत नहीं करनी है वहां के खिलाड़ियों से, कलाकारों और गायकों से। हमें इज्ज़त करनी चाहिए हमारी सरकार के लिए गए उन नेक फैसलों की जिससे बीमार पाकिस्तानी नागरिकों को भारत में इलाज करवाने में मदद मिलती है।

दुनिया के तमाम मुल्क आतंकवाद के खिलाफ एकजुट हो चुके हैं, किसी देश के खिलाफ नहीं। सबसे आसान उदाहरण से अगर इस बात को समझा जाए तो अगर किसी इंसान के शरीर के किसी अंग में कोई बीमारी होती है तो उस बीमारी का इलाज किया जाता है उसके अंग को नहीं काटा जाता और अगर बीमारी की वजह से उसके अंग को काटा जाना मजबूरी बन जाए तो सिर्फ उस अंग को ही काटते हैं उस इंसान को नहीं मारते। ठीक इसी तरह दुनिया के तमाम देश पाकिस्तान को खत्म नहीं करना चाहते बल्कि उसके उस अंग का सफाया करना चाहते हैं जिसे आतंकवाद नाम की बीमारी हो गयी है।

जिस दिन ये बात हर एक इंसान को समझ आ जाएगी उस दिन बात ना नफरत की होगी ना ही युद्ध की। बातें होगी तो सिर्फ एकजुट होकर आतंकवाद को खत्म करने की। एकजुटता की ताकत से इतिहास बने हैं, सरकारें बदली है, प्रगति हुई है, क्रांति आयी है, कानून बने हैं। फिर आतंकवाद के खिलाफ तो कई देश भारत के साथ खड़े हैं। आतंकवाद को भी खत्म होना ही होगा।
आमीन।

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