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कभी घर से बाहर ना निकलने वाली 3 लड़कियों की स्वावलंबी होने की कहानी

लेखिका- सुमन सिंह

आज यह बात फिर से सत्य हो गई कि लड़कियां-लड़कों से कम नहीं होती हैं। भोपुरा में यूथ कक्षा में युवाओं को आय में वृद्धि, तरह-तरह की ट्रेनिंग और बाहर जाकर कार्य करने का मौका मिलता रहता है। ऐसा ही एक मौका उनको अभी मिला जिसमें 3 से 5 जून 2018 को अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के उपलक्ष्य में विज्ञान भवन में जाकर लोगों में साफ सफाई और कम-से-कम प्लास्टिक इस्तेमाल करने की जागरूकता फैलानी थी। उनको एक सुपरवाइज़र की तरह काम करके जागरूकता फैलानी थी।

जैसे ही यह अवसर उनको सुनाया गया ऐसा अनुमान लग रहा था कि लड़के ही हामी भरेंगे पर इस बार कक्षा की तीन लड़कियों ने आगे बढ़ने का कदम बढ़ाया और ज़िम्मेदारी ली। वर्षा, दीपा और ज्योति को आज यूथ क्लास में हर कोई जानता है।

वर्षा, दीपा और ज्योति के लिए एक नया अनुभव था और खुशी भी थी क्योंकि तीनों ने आज तक बाहर जाकर कभी काम नहीं किया था पर वे खुश थीं कि उन्हें एक बेहतरीन मौका मिला, जहां  उन्होंने अलग-अलग लोगों से मिलकर उन्हें जागरूक किया और अपनी बातें रखी। उन्हें यह सब करके बहुत अच्छा लगा और लड़कियों ने यह भी बताया कि वहां जाने से उनके अंदर इतना आत्मविश्वास आ गया है कि वह बिना झिझक के अपनी बातों को दूसरों को समझा सकती हैं। उनका कहना है कि इस वजह से न्यूज़ चैनल वालों ने उनका जो इंटरव्यू लिया, उसे वे कभी नहीं भूल सकती हैं।

जब पहली बार उन्हें काम करने की तनख्वाह मिली उनकी खुशी का ठिकाना ना रहा और अपने परिवार और दोस्तों को फोन लगाकर अपनी खुशी व्यक्त की। सभी ने अपनी फैमिली के लिए कुछ ना कुछ लिया। चिंतन ने उन्हें यह मौका दिया कि वे अपने दम पर अपनी फैमिली के चेहरे पर मुस्कराहट ला पाए। यह लड़कियां आगे भी अपने दम पर कुछ करने का हौसला रखती हैं।

वर्षा ने कहा,

आज मुझे अपने फैसले पर गर्व हो रहा है कि मैंने अपने लिए जो लक्ष्य चुना वह मेरे लिए बिलकुल सही था।

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नोट- लेखिका सुमन, चिंतन के भोपुरा लर्निंग सेंटर्स में फील्ड को ऑर्डिनेटर का कार्य संभालती हैं।

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