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JIO यूनिवर्सिटी को मिला एमिनेंस का दर्जा, BJP-पूंजीपतियों के गठजोड़ को दिखाता है

रिलायंस फाउंडेशन के अस्तित्वहीन जियो इंस्टीट्यूट को उत्कृष्टता का दर्जा दिए जाने के फैसले ने सभी को चौंका दिया है। ज्ञात हो कि गत सोमवार को सरकार ने अपने एक फैसले में 6 उच्च-शिक्षण संस्थानों को उत्कृष्ट संस्थान का दर्जा दिया है। इनमें तीन सरकारी संस्थानों और तीन प्राइवेट संस्थानों को उत्कृष्टता के लिए चुना गया। लेकिन, विडम्बना की बात है कि इसमें रिलायंस फाउंडेशन के जियो इंस्टीट्यूट को भी शामिल किया गया है, जिसका अस्तित्व अभी कागज़ों तक ही सीमित है। जियो इंस्टीट्यूट जिसके बारे में खुद यूजीसी का मानना है कि यह इंस्टीट्यूट तीन साल बाद अस्तित्व में आएगा।

रिलायंस फाउंडेशन के जियो इंस्टीट्यूट को जिसके पास इमारत, टीचिंग स्टाफ और शिक्षा के क्षेत्र में काम का तजुर्बा ना होने के बावजूद भी उत्कृष्टता का दर्जा दिया जाना साफ तौर पर बीजेपी और पूंजीपतियों के गठजोड़ को दिखाता है। यह फैसला दिखाता है कि केंद्र की बीजेपी सरकार पूंजीपतियों के मुनाफे और उनके हितों को ध्यान में रखकर ही लगातार शिक्षा के बाज़ारीकरण और व्यापारीकरण की नीतियों को बढ़ावा दे रही है।

ज्ञात हो कि इससे पहले भी सरकार द्वारा लगातार उच्च-शिक्षा के बजट में कटौती करके, शिक्षण-संस्थान को उचित अनुदान ना देकर, छात्रवृत्ति खत्म करके, फीस वृद्धि करके, स्वायत्त संस्थानों की स्थापना करके उच्च शिक्षा में निजीकरण को बढ़ावा देने की कोशिश होती रही हैं। भाजपा अपने निकट व्यापारिक घरानों को खुश करने के लिए इतनी उतावली है कि रिलायंस फाउंडेशन के शिक्षण संस्थान के खुलने से पहले ही उसे उत्कृष्टता की उपाधि दे दी गई।

इसी तरह कुछ शिक्षण संस्थानों को शिक्षा के उत्कृष्ट केंद्र के तौर पर चुनना उच्च शिक्षा में ना केवल मौजूदा सांस्थानिक गैर-बराबरी को और अधिक बढ़ाने का ही काम करेगा बल्कि सरकारी उच्च-शिक्षा को हतोत्साहित करके नीजिकरण को बढ़ावा देने का काम भी करेगा।

कुछ गिने-चुने शिक्षण संस्थानों को विश्वस्तरीय बनाने के लक्ष्य के चलते उन्हें ज़्यादा अनुदान दिया जायेगा जबकि देश के हज़ारों सरकारी उच्च शिक्षण-संस्थान जो पहले से ही बदहाल हैं सरकार की अनदेखी और कम अनुदान के चलते और भी दुर्गति का शिकार हो जायेंगे।

उच्च-शिक्षा की दुर्दशा को दुरुस्त करने के लिए ज़रूरी है कि सरकार द्वारा कुछ की बजाए सभी शिक्षण-संस्थानों को बराबर और ज़्यादा अनुदान मुहैया कराया जाये ताकि सभी छात्रों को एक समान गुणवत्तापूर्ण शिक्षा हासिल हो सके। उच्च-शिक्षा को बेहतर बनाने और उसकी पहुंच प्रत्येक छात्र तक संभव हो सके इसके लिए ज़रूरी है कि शिक्षा के बाज़ारीकरण को खत्म करके नए कॉलेजों की स्थापना की जाये।

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