नारी सशक्तिकरण के नारे के साथ एक प्रश्न उठता है कि “क्या महिलाएं सचमुच में मज़बूत बनी हैं?” और “क्या उसका लंबे समय का संघर्ष खत्म हो चुका है?” राष्ट्र के विकास में महिलाओं की सच्ची महत्ता और अधिकार के बारे में समाज में जागरूकता लाने के लिये मातृ दिवस, अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस आदि जैसे कई सारे कार्यक्रम सरकार द्वारा चलाये जा रहे हैं । महिलाओं को कई क्षेत्र में विकास की ज़रूरत है।
अपने देश में उच्च स्तर की लैंगिक असमानता है जहां महिलाएं अपने परिवार के साथ ही बाहरी समाज के भी बुरे बर्ताव से पीड़ित हैं। भारत में अनपढ़ों की संख्या में महिलाएं सबसे अव्वल हैं। नारी सशक्तिकरण का असली अर्थ तब समझ में आयेगा जब भारत में उन्हें अच्छी शिक्षा दी जाएगी और उन्हें इस काबिल बनाया जाएगा कि वो हर क्षेत्र में स्वतंत्र होकर फैसले कर सकें।
पर क्या शिक्षा पाने वाली जगह हम महिलायों के लीये सुरक्षित ह। बात की जाये अगर कॉलेज या विश्विविद्यालय की तो हम दखते ह वहाँ भी हम महिलायों को असमानता का शिकार होना पड़ता ह। पटना विश्विद्यालय अपने आप में इतिहास रचता आया ह। पर देखा जाये तो यहाँ भी कोई सही कदम नही लिया गया ह हमारे उत्थान को लेकर यहाँ भी् हमे बहुत सारी परेशानियों का शीकार होना पड़ता ह इनमे सबसे पहले सुरक्षा का मामला आता ह। साथ साथ हमें हमारी मुलभुत चीज़े भी नही मिल पति ह ।
असुरक्षा का मामला इनमे सबसे पहला स्थान रखता ह ।लड़कियों को कभी-कभी हिंसा के विभिन्न रूपों का सामना करना पड़ता है। शिक्षक, छात्रों और कॉलेज प्रशासन में शामिल अन्य लोगों द्वारा उन्हें प्रताड़ित किया जाता है।
एक बड़ी समस्या अभी भी महिलाओं को पीड़ित करती है। जब वे स्पष्ट रूप से सक्षम होते हैं, तो उन्हें अक्सर पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा असंभव होने का भी फैसला किया जाता है।
कॉलेज विश्विध्याला में एक तो जेंडर सेल होना ही चाहिए। जहा छात्रा अपनी बतो को रख सकती ह और तुरंत उनके द्वारा किये गये सिकायत पे एक्शन भी लिया जाये।
“भेदभाव जुल्म मिटायेंगे, दुनिया नई बसायेंगे, नई है डगर, नई हैं सफ़र,
अब हम नारी आगे ही बढ़ाते जायेंगे।”
By:- Anushka Arya
Patna university