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क्या पीएम मोदी की अमृत प्लस योजना से छोटे शहरों को फायदा होगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लखनऊ दौरा 2019 लोकसभा चुनावों को देखते हुए अहम था, क्योंकि 80 लोकसभा वाला राज्य उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय राजनीति में खासा महत्व रखता है। पीएम मोदी ने यहां पर कई योजनाओं का शिलान्यास किया।

लखनऊ दौरे पर ही पीएम ने अमृत प्लस योजना की शुरुआत करने की प्रतिबद्धता जताई है। इस योजना के तहत एक लाख से कम जनसंख्या वाले गांवों को विकसित किया जाएगा। पहले से चल रही अमृत योजना 31 मार्च 2020 को समाप्त हो रही है। इसके खत्म होते ही अमृत प्लस योजना को लॉन्च किया जाएगा। 

अमृत योजना में एक लाख के ऊपर की आबादी वाले शहरों को लिया गया था, अब अमृत प्लस योजना में 50 हज़ार से एक लाख तक की आबादी वाले शहरों को शामिल किया जाएगा। इस योजना का मुख्य मकसद है पेयजल, सीवर नेटवर्क, कूड़ा प्रबंधन और अरबन ट्रांसपोर्ट को विकसित करना।

अब सवाल है कि क्या अमृत प्लस योजना के तहत इन शहरों का कायाकल्प होगा या ये योजना भी स्मार्ट सिटी की तरह सपना बनकर रह जाएगी। क्योंकि देश में जितने शहरों का चयन स्मार्ट सिटी के लिए हुआ था, सरकार चार वर्षों के बाद भी उनका कायाकल्प नहीं कर पाई है।

स्मार्ट सिटी के नाम पर जगह-जगह खुदाई कर दी गई, जिसके कारण जनता को जाम के झाम से हर दिन जूझना पड़ता है। स्मार्ट सिटी योजनाओं का हाल कुछ इस तरह है कि ज़रा सी बारिश से सड़के धस जा रही हैं। 2014 लोकसभा चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री ने अपने संसदीय क्षेत्र बनारस को क्योटो शहर बनाने का वादा किया था लेकिन, चार वर्षों बाद भी बनारस क्योटो नहीं बन सका।

आज भी बनारस यूपी के बड़े शहरों लखनऊ और नोएडा के आगे कही नहीं ठहरता है। विकास के नाम पर सरकारें तो बहुत दावें करती हैं लेकिन, नतीजा कुछ नहीं निकलता है। अमृत प्लस योजना तभी सफल होगी जब सरकारें सही से काम करेंगी। चुनावी मौके पर वादे करने से ना तो शहरों का कायाकल्प होगा ना ही वहां के लोगों की मुसीबतें कम होंगी।

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