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“अटल जी आप मेरे बचपन के सुपरहीरो थे और आप कभी मेरी यादों से नहीं जाएंगे”

एक बच्चे के कोमल मन में किसी तरह का भेद-भाव नहीं होता, वे सहज़ और निर्मल होते हैं, जो अच्छी बातें करे वो उनके महानायक और जो बुरी वो उन पर तवज्जो देना ज़रूरी नहीं समझते। अपने महानायक तथा महानाइकाओं का अनुसरण करना प्यारे बच्चों के स्वभाव में ही होता है। ठीक वैसे ही मेरे बचपन में भी कुछ ऐसे ही महानायक रहे, जो लिहाज़ा आज भी और यकीनन ताउम्र मेरे महानायकों में शुमार रहेंगे।

मेरे लिए मेरे प्रथम महानायक, मेरे गुरु मेरे माँ-पापा जी और मेरे दो छोटे भाई रहे हैं, और मेरी शक्ति मेरा परिवार, लेकिन उनके बाद गुरुदेव रबीन्द्र नाथ टैगोर, महामहिम एपीजे अब्दुल कलाम, महामहिम नेल्सन मंडेला और मेरे प्यारे अटल जी जैसे महानुभाव ही हैं जिन्हें मैं सच में अपना महानायक, अपना सच्चा गुरु मानती हूं। अपने संपूर्ण हृदय से आप सभी को आदर-भाव समर्पित करती हूं। आप सभी वो हैं जिन्होनें मुझे हमेशा से एक सभ्य, सच्चे और ईमानदार इंसान बनने की असीम प्रेरणा प्रदान की है!

मैंने गुरदेव जी की बहुत सी किताबें पढ़ी और उन्हें, जीवित न होते हुए भी अपने आस-पास महसूस किया, उनके आशीर्वाद को अब तक जीती हूँ मैं. उनकी किताबें मेरे लिए किसी ग्रंथ से कम नहीं रही!

बात अगर महामहिम कलाम साहब की करूं तो आपकी हर बात, आपका हर कथन, हर काम, हर साक्षात्कार, सब कुछ मुझे इतना ज़्यादा भाता है कि मेरे पास शब्द नहीं व्यक्त करने के लिए… मुझे हमेशा अपने बाबा (दादा जी) की छवि नज़र आती है आपके चेहरे में… आप हम सबसे दूर चले गए, लेकिन आप की यादें, आपकी बातें, आपकी सीख हमेशा मेरे ज़हन में ताज़ा रहती हैं ठीक उसी तरह जैसे महामहिम मंडेला की….!

लेकिन जिस युगपुरुष ने मुझे सबसे ज़्यादा मेरे अपने न होते हुए भी मेरे अपने होने का एहसास कराया, वो कोई और नहीं मेरे प्यारे, मेरे सबसे सबसे सबसे प्यारे, मेरे अजीज़ अटल जी ही हैं।

 मैंने बचपन से ही आप जैसा बनने का स्वप्न देखा था। छोटी सी प्रीति को अपने अटल जी से, उनकी प्यारी मासूम सी मुस्कान से, उनकी गहरी समझ वाली बातों से, उनकी विहंगम कविताओं से, उनकी रचनाओं से जो उन्होनें पत्रकारिता के दौरान रची, उनकी किताबों से, उनकी चुटीली तल्खीयों से, उनके सब के प्रति दया-भाव से, उनकी विशाल कार्यों से, उनकी प्रगतिशील विचारधारा से, समाज के प्रति उनकी समरूपता और सहिष्णुता से, देश और दुनिया के लिए उनके अगाध प्यार से, मेरे जैसे छोटे-छोटे बच्चों के प्रति उनके अविरल स्नेह से, उनकी कभी ना रुकने वाली ज़बर्दस्त मेहनत से, शिक्षा के प्रति उनकी अद्भुत मानसिकता से, महिलाओं और बेटियों के प्रति उनकी अति आदरणीय व्यावहारिकता से, उनकी अदम्य साहस से, उनकी निर्मल सहज़ता से, उनके क्रांतिकारी भाषाणों से, उनकी जोड़कर चलने की इंसानी प्रवृति से, उनके दिलों को झकझोर देनें वाले अतिविशिष्ट संवादों से, उनकी ज़िन्दगी के हर आक्षेप से प्यार था, है और हमेशा रहेगा!

आज मेरी आँखें नम हैं, रुदन के आगोश ने मुझे घेरा हुआ है, लेकिन मैं उस महापुरुष को कभी अपनी यादों से नहीं जाने दूंगी, जिन्होनें किसी से कटुता नहीं रखी। जिन्होनें एक राजनीतिज्ञ होते हुए कभी भी दूसरे राजनीतिक दलों, उनके लोगों को कभी कमतर दिखाने का प्रयास नहीं किया, जिन्होनें हमेशा इंसानियत को तरजीह दी, जिन्होनें सबसे हमेशा प्रेम किया। जिन्होनें हमेशा सबसे सद्भावनापूर्ण रहने का आश्वाशन दिया, जिन्होनें निरंतर इंसानियत कि सेवा की!

आप हमारे साथ रहो या ईश्वर के साथ, लेकिन आप मेरे दिल से, ज़हन से और मेरी समग्र ज़िन्दगी से कभी दूर नहीं जाओगे। मैं जाने ही नहीं दूंगी, अपने हृदय के कोर में अपने गुरु जी को, अपने महानायक को सदैव जीवित रखूंगी, यह आपकी प्रीति का अपने आप से करार है!

आपकी स्नेहज

प्रीति महावर

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