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बिहार में भीड़ का तथाकथित न्याय, औरत को निर्वस्त्र घुमाया

Woman Beaten and paraded naked by mob In Bihar

बिहार के भोजपुर ज़िले में एक 19 साल का विमलेश शाह नाम का लड़का गायब हो जाता है अगले दिन उसकी लाश रेलवे ट्रैक के किनारे मिलती है। उसके घर के बाहर लोग इकट्ठा होते हैं, उनके पड़ोस के गांव के लोगों के ऊपर शक होता है। भीड़ उस गांव में घुसकर तोड़-फोड़ और आगजनी करती है।

फिर उस इलाके की एक औरत को पकड़ कर सड़क पर लाती है, उसको लातों, घूसों से मारा जाता है, उसके कपड़ों को नोच दिया जाता है। उसके साथ अमानवीयता की सारे हदें पार कर दी जाती है। सड़क पर उसको नंगा दौड़ाया जाता है।उसकी वीडियोग्राफी की जाती है। कैमरा (जिससे वीडियोग्राफी हो रही थी) उसकी तरफ, औरत नग्न अवस्था में दौड़ती है, तभी उसको धक्का दिया जाता है वो कैमरे की छाती पर गिर जाती है।

जितने भी लोग उस औरत को लिंच कर रहे थे वो कम उम्र के नौजवान थे। ना जाने ये किस ओर हमारा युवा जा रहा है।क्या हम अपने बाद आने वाली नस्लों के लिये रहने लायक भारत छोड़कर जा रहे हैं? क्या औरतों को देवी मानना सिर्फ छलावा, भ्रम और पाखंड मात्र है? 9 दिन की ही देवा माना जायेगा हमारे समाज में स्त्री को। क्या यही है हमारे सपने का विश्व गुरू भारत?

वेदों में लिखा है ना ‘यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता’ लेकिन हम तो उन्हीं को नंगा करके लातों से सड़क पर मार रहे हैं। अरे हटाओ पूजा बहुत दूर की बात है, हम तो औरतों की इज्ज़त भी करना भूल गये हैं। और हां रक्षाबन्धन आने वाला है सिर्फ अपनी बहन से राखी बंधवाकर सिर्फ उसकी ही रक्षा और इज्ज़त करना।

मंटो साहब की कही बात पढ़ें और विचार करें-

हम औरत उसी को समझते हैं जो हमारे घर की हों, बाकि हमारे लिये औरत नहीं होती एक गोश्त की दुकान होती हैं और हम उस दुकान पर खड़े कुत्ते की तरह होते हैं, जिसकी हवस भरी नज़र हमेशा गोश्त पर टिकी होती है।

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